जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर टाउन हॉल, पुराना पुलिस मुख्यालय (PHQ) और पुराना होमगार्ड महानिदेशालय सहित करीब ₹2,500 करोड़ मूल्य की संपत्तियों को स्पष्ट रूप से सरकारी संपत्ति करार दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस पर किसी सिविल कोर्ट को सुनवाई का अधिकार नहीं है, क्योंकि ये संपत्तियां 1949 के कोवेनेंट समझौते के अंतर्गत आती हैं।
जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकल पीठ ने राज्य सरकार की चार पुनरीक्षण याचिकाएं स्वीकार करते हुए कहा कि “यह संपत्तियां कोवेनेंट का हिस्सा हैं और इनसे जुड़ा कोई विवाद संविधान के अनुच्छेद 363 के तहत न्यायिक क्षेत्राधिकार से बाहर है।”कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इन संपत्तियों पर किसी सिविल न्यायालय को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत व्यास ने तर्क दिया कि “ये संपत्तियां सरकार को लाइसेंस पर नहीं बल्कि कोवेनेंट के तहत मिली थीं। इन्हें वापस लेने या मुआवजा मांगने का कोई कानूनी आधार नहीं बनता।”
टाउन हॉल, पुराना पीएचक्यू, और पुराना होमगार्ड मुख्यालय आज भी सरकार के कब्जे में हैं।सरकार इनका कोई भी प्रशासनिक उपयोग करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है।
अधीनस्थ अदालतों में दाखिल दावों में याचिकाकर्ताओं ने इन संपत्तियों को सरकार से वापस दिलाने और उनके मूल्य का मुआवजा देने की मांग की थी।उनका कहना था कि ये संपत्तियां विशेष प्रयोजन के लिए दी गई थीं और अब उद्देश्य पूर्ण हो चुका है, अतः इन्हें लौटाया जाए।
कोवेनेंट से मिली संपत्तियां सरकार की हैं।कोई भी सिविल वाद संविधान के अनुच्छेद 363 के तहत न्यायिक समीक्षा योग्य नहीं।व्यक्तिगत लाभ या व्यावसायिक उपयोग के लिए यह संपत्तियां किसी भी प्रकार से हस्तांतरित नहीं की जा सकतीं।