जयपुर । राजस्थान रॉयल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच शनिवार को सवाई मानसिंह स्टेडियम में खेले गए IPL मैच के दौरान पार्किंग और खाने-पीने की वस्तुओं को लेकर मूल्य वसूली पर जनता में गहरा रोष देखने को मिला।
मैच से पहले और बाद में चार पहिया वाहनों से ₹ 300, जबकि दो पहिया वाहनों से ₹ 100 की अत्यधिक पार्किंग फीस वसूली गई। आमतौर पर शहरी निकायों की अधिकतम पार्किंग दर ₹50 प्रति दिन होती है।
इस पूरे मामले में खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और खेल परिषद अध्यक्ष नीरज के. पवन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष और आम लोग आरोप लगा रहे हैं कि IPL जैसे बड़े आयोजनों के नाम पर पार्किंग माफिया को खुली छूट दी गई है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से सवाल उठ रहे हैं कि
क्या यह सब सरकार की जानकारी और अनुमति से हो रहा है?
क्या सरकार इस लूट को रोकने के लिए कोई कार्रवाई करेगी?
पानी 20 रुपये, खाना 10 गुना महंगा
स्टेडियम के अंदर पानी मुफ्त देने का वादा किया गया था, लेकिन हकीकत में ₹ 20 प्रति गिलास वसूले गए। एक समोसा ₹ 70, एक बर्गर ₹ 200,साधारण स्नैक्स और पेय पदार्थों की कीमतें 8-10 गुना तक वसूल की गईं।
विद्यार्थियों को मिल रहा टिकट, लेकिन पार्किंग बनी बोझ
सरकार की ओर से विद्यार्थियों को ₹ 500 में IPL टिकट उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन ₹ 300 की पार्किंग फीस उनका बजट बिगाड़ रही है।छात्रों और अभिभावकों का सवाल है:"हम टिकट के पैसे जुटा भी लें, तो क्या पार्किंग के लिए लोन लें?"
पार्किंग शुल्क तय करने की प्रक्रिया क्या है?
क्या खेल परिषद ने इन शुल्कों की पूर्व स्वीकृति ली?
क्या जनता की जेब से कमाई कर प्राइवेट ऑपरेटरों को लाभ दिया जा रहा है?
कौन तय कर रहा है कि स्टेडियम में पानी ₹ 20 में बिके?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस विषय पर स्पष्टीकरण दें
खेल मंत्री और परिषद के अध्यक्ष जिम्मेदारी लें
IPL आयोजनों में पारदर्शिता और दरों का नियमन सुनिश्चित किया जाए
अत्यधिक शुल्क वसूली पर रोक लगे