पिलानी।मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रविवार को पिलानी स्थित केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीईईआरआई) में यमुना जल समझौते के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा बैठक ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि योजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) को मिशन मोड पर कार्य करते हुए शीघ्र तैयार किया जाए।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि यमुना जल समझौता शेखावाटी अंचल-सीकर, चूरू और झुंझुनूं के लिए ऐतिहासिक कदम है। परियोजना के पहले चरण में इन जिलों में पेयजल आपूर्ति होगी, जबकि दूसरे चरण में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि परियोजना के क्रियान्वयन में विश्व स्तरीय तकनीकी मापदंड अपनाए जाएं और इसके लिए IIT एवं BITS पिलानी जैसे संस्थानों का सहयोग लिया जाए।
योजना की अनुमानित लागत ₹19,000 करोड़ रुपये।
1994 के यमुना जल समझौते के अंतर्गत मानसून अवधि में राजस्थान को 1917 क्यूसेक (577 MCM वार्षिक) जल आवंटित।
30 वर्षों से लंबित इस योजना को फरवरी 2024 में गतिरोध समाप्त कर पुनः प्रारंभ किया गया।
7 अप्रैल को हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त टास्क फोर्स की बैठक यमुनानगर में आयोजित हुई।
253 किमी लंबी तीन पाइपलाइनों वाली प्रवाह प्रणाली को प्राथमिक विकल्प माना गया, जिसका धरातलीय परीक्षण शीघ्र किया जाएगा।
मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश:
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि परियोजना के कार्यों को समन्वय और समर्पण के साथ समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए। राज्य सरकार शेखावाटी को जल संकट से मुक्त कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। परियोजना के क्रियान्वयन में संसाधनों की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
सुरेश सिंह रावत, जल संसाधन मंत्री,अविनाश गहलोत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री,झाबर सिंह खर्रा, नगरीय विकास राज्यमंत्री,अभय कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव, जल संसाधन,हरियाणा जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता,अन्य वरिष्ठ तकनीकी एवं प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
17 फरवरी 2024 को राजस्थान एवं हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मध्यस्थता से समझौते पर सहमति बनी। इसके तहत हथिनी कुंड बैराज (ताजेवाला हेड) से यमुना जल को राजस्थान तक लाने के लिए साझा कार्य योजना बनाई गई।