Sunday, 06 July 2025

पूर्व मंत्री सुरेंद्र व्यास की किताब ‘एक विफल राजनीतिक यात्रा’ का विमोचन, गहलोत-राजे की सांठगांठ और 25 हजार करोड़ के घोटाले के दावे


पूर्व मंत्री सुरेंद्र व्यास की किताब ‘एक विफल राजनीतिक यात्रा’ का विमोचन, गहलोत-राजे की सांठगांठ और 25 हजार करोड़ के घोटाले के दावे
जयपुर के कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहीं।

जयपुर। पूर्व मंत्री सुरेंद्र व्यास द्वारा लिखित "एक विफल राजनीतिक यात्रा" नामक राजनीतिक संस्मरणात्मक पुस्तक का रविवार को भव्य विमोचन जयपुर के कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहीं। इस मौके पर व्यास ने अपनी किताब में दर्ज किए गए कई राजनीतिक रहस्यों, घोटालों और अनकहे समझौतों का खुलासा करते हुए राजस्थान की राजनीति में व्याप्त गठजोड़ की संस्कृति पर तीखा प्रहार किया।

व्यास ने कहा कि उनकी पुस्तक में अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के बीच की कथित सांठगांठ और 25 हजार करोड़ रुपये के जमीन घोटाले का जिक्र है, जिससे यह समझा जा सकता है कि सत्ता और विपक्ष के बीच किस तरह के ‘समझौते’ और ‘संरक्षण’ की राजनीति होती रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पुस्तक के माध्यम से वे उन तमाम ‘अनकहे’ और ‘अनछुए’ राजनीतिक पहलुओं को सामने ला रहे हैं जो आम जनता की नजरों से दूर रहे हैं।

पुस्तक विमोचन के दौरान व्यास ने हाल ही में अशोक गहलोत द्वारा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए दिए गए बयान को भी ‘राजनीतिक चुग्गा डालना’ बताया। उन्होंने कहा कि “गहलोत यह दर्शाना चाहते हैं कि वे भजनलाल के हितैषी हैं, ताकि भविष्य में उनके प्रति सहानुभूति अर्जित कर सकें।” व्यास ने यह भी कहा कि “गहलोत को एक समय भैरोंसिंह शेखावत ने बचाया था, अब वे शायद भजनलाल से वैसी ही उम्मीद कर रहे हैं।”

किताब में अशोक गहलोत से जुड़े कई विवादास्पद किस्सों को भी विस्तार से बताया गया है, जैसे कि 1998 में विधायक न होते हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना, सरदारपुरा सीट को अपने लिए रिक्त करवाना, और गृह मंत्री रहते हुए खुद से जुड़े भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (ACB) के केस वापस लेने जैसे मुद्दों का उल्लेख किया गया है।

व्यास ने बताया कि यह पुस्तक न केवल एक राजनीतिक दस्तावेज है, बल्कि यह उन ‘चुप सहमतियों’ और सत्ता-साझेदारियों की भी पड़ताल करती है, जो दशकों से राजस्थान की राजनीति को प्रभावित करती रही हैं।

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