Wednesday, 16 April 2025

करौली के डांग क्षेत्र में जल क्रांति: जल संरक्षण से बदली तकदीर, अब भी बिजली-सड़क और स्कूल से वंचित हैं 12 गांव


करौली के डांग क्षेत्र  में जल क्रांति: जल संरक्षण से बदली तकदीर, अब भी बिजली-सड़क और स्कूल से वंचित हैं 12 गांव

राजस्थान के करौली जिले के डांग क्षेत्र के 12 गांवों ने वर्षा जल संरक्षण के माध्यम से अपनी तकदीर बदलने का साहसिक कार्य किया है। कभी सूखा, पलायन और गरीबी की मार झेलने वाले इन गांवों में अब पोखरों और पारस (मिट्टी के बांधों) के जरिए पानी का स्थायी समाधान मिल गया है। ग्राम गौरव संस्थान और यूनिसेफ की साझेदारी में ग्रामीणों ने पारंपरिक पद्धतियों का उपयोग करते हुए जल संरक्षण की ऐसी मिसाल पेश की है, जिससे पलायन रुक गया है और खेती फिर से जीवंत हो गई है।

लेकिन इस बदलाव के बीच एक सच्चाई यह भी है कि डांग क्षेत्र के अधिकतर गांव आज़ादी के 70 साल बाद भी बिजली, सड़क और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। “ राहिर ग्राम पंचायत के अंतर्गत चोबेकी गांव में यहां गुर्जर और जाटव जाति 125 परिवारनिवास करते हैं। लेकिन गांव में बिजली के अभावऔर बच्चों के लिए कोई प्राथमिक विद्यालय तक उपलब्ध नहीं है, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय है। गांव वालों का कहना है कि चुनावों के समय नेताओं की गाड़ियों के काफिले जरूर आते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही वे उन्हें भुला देते हैं।

यूनिसेफ और ग्राम गौरव संस्थान की साझेदारी में ग्रामीणों ने पारंपरिक पद्धतियों जैसे पोखरा और पारस (मिट्टी के बांध) बनाकर पानी को संरक्षित अनोखे प्रयास को उजागर करने के लिए 10 अप्रैल गुरुवार को जयपुर की फ्यूचर सोसाइटी ने डांग क्षेत्र के गांव बारकी का मीडिया टूर कराकर उनके विकास की गाथा के साथ उनकी करुणा दास्तान को उजागर करने का काम किया। 

जयपुर की 'फ्यूचर सोसाइटी' द्वारा आयोजित मीडिया टूर में पत्रकारों ने राहिर ग्राम पंचायत के अंतर्गत चोबेकी गांव का दौरा किया, लेकिन जब पत्रकारों ने सवाल किया की यूनिसेफ ने गांव वालों की भागीदारी से सोलर पंप लगाकर वर्ष के लिए बनाए गए तालाब से अपने खेतों को दिन में पानी पिलानेमें तो कामयाब रहते हैं। शाम 5:00 बजे बाद जब गांव में अंधेरा हो जाता है तो वहां के लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में घबराते हैं उनके गांव में बिजली नहीं है और ना ही सड़क,उनके बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय भी उपलब्ध नहीं है। कहने को तो बरसों पहले डांग क्षेत्र विकास के लिए डांग विकास बोर्ड का गठन किया गया था। लेकिन इस बोर्ड के अब तक बने अध्यक्षों ने क्षेत्र में कोई विकास नहीं किया।वहां के ग्रामीणों का कहना है कि वोटो के दिनों में सांसद,विधायक, जिला परिषद और पंचायत समिति केसदस्यआते हैं।लेकिन डांग क्षेत्र के इन गांव का कोई विकास नहीं करते हैं। ग्राम वासियों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सेआग्रह करते हुए कहा कि वे अचानक इस क्षेत्र का दौरा करें तो पता चलेगा कि उनके प्रदेश में विकास की क्या गति हैऔर यह लोग उसे विकास से कोसों दूर क्यों है ?गांव के सैकड़ो लोगों को  सिलिकोसिस बीमारी होती है और वह मर जाते हैं। यहां के लोगों का मुख्य धंधा खेती नहीं है वे पशुपालते हैं और क्षेत्र मेंपत्थर की खानों में काम कर अपना गुजारा करने की कोशिश करते हैं। 

गांव में बिजली और सभी सुविधाओं के अभाव के कारण यहां के बच्चे अनपढ़ हैंऔर कुछ बच्चे पढ़ने के लिए दूसरे गांव में जाने के लिए मजबूर है। डांग क्षेत्र के यह गांव करौली जिले से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पर यहां सरकार और कलेक्टर की निगाहेंक्यों नहीं गई है इस पर सवालिया निशान खड़ा होता है ? भाजपा की डबल इंजन की सरकार सबका साथ सबका विकास का नारा देती है पर यह नारा इन गांवों रहने वाले लोगों के लिए अछूता नजर आता है। जहां गांव की महिलाओं और युवाओं ने बताया कि कैसे जल संरक्षण ने उनकी जिंदगी बदली।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए कृष्णा कुमारी मीणा ने बताया, "अब तालाब से पानी मिलने पर हम खाना और चारा उगा पा रहे हैं। लेकिन बिजली और सड़क के बिना अब भी हमारा जीवन अधूरा है।"

ग्राम गौरव संस्थान के सचिव जगदीश गुर्जर ने बताया कि अब गांव में दूध, अन्न और पानी की कोई कमी नहीं है, लेकिन विकास अधूरा है। ग्रामीणों ने बताया कि सोलर पंप से दिन में तो सिंचाई होती है, लेकिन रात में अंधेरे के कारण जीवन ठहर सा जाता है। गांव के युवा राकेश मीणा ने बताया कि उन्होंने मिट्टी के बांध बनाकर जल संरक्षण का कार्य किया है और एक युवा समूह भी बनाया गया है जो इन स्रोतों की देखरेख करता है। 75 वर्षीय गोपाल मीणा का कहना है कि कई बार सरपंच, विधायक और जिला अधिकारियों से बिजली-सड़क की मांग की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

ग्राम गौरव संस्थान के मेंटर मुरारी मोहन गोस्वामी का कहना है कि “पलायन तो रुक गया है लेकिन विकास अब भी ठहरा हुआ है। स्कूल, बिजली, सड़क जैसी सुविधाएं नहीं मिलने के कारण बच्चे पढ़ नहीं पाते और भविष्य अंधकारमय है।”

राहिर ग्राम पंचायत के अंतर्गत चोबेकी गांव के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मांग की है कि वे खुद इन गांवों का दौरा करें या किसी वरिष्ठ अधिकारी को भेजें ताकि डांग क्षेत्र की दुर्दशा को करीब से देखा जा सके। ग्रामीणों की पीड़ा और आत्मनिर्भरता की यह कहानी सरकार के लिए एक संदेश है कि केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीनी काम से ही असली विकास संभव है।


राहिर ग्राम पंचायत के अंतर्गत चोबेकी गांव डांग क्षेत्र में अब भी बिजली, सड़क और शिक्षा की कमी का जायजा लेती जयपुर से गए पत्रकारों की टीम
राहिर ग्राम पंचायत के अंतर्गत चोबेकी गांव डांग क्षेत्र में अब भी बिजली, सड़क और शिक्षा की कमी का जायजा लेती जयपुर से गए पत्रकारों की टीम

राहिर ग्राम पंचायत के अंतर्गत चोबेकी गांव के ग्रामीणों ने कहा कि सड़क,उनके बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय भी उपलब्ध नहीं है। कहने को तो बरसों पहले डांग क्षेत्र विकास के लिए डांग विकास बोर्ड का गठन किया गया था। लेकिन इस बोर्ड के अब तक बने अध्यक्षों ने क्षेत्र में कोई विकास नहीं किया।वहां के ग्रामीणों का कहना है कि वोटो के दिनों में सांसद,विधायक, जिला परिषद और पंचायत समिति केसदस्यआते हैं। लेकिन डांग क्षेत्र के इन गांव का कोई विकास नहीं करते हैं। 

राहिर ग्राम पंचायत के अंतर्गत चोबेकी गांव के ग्रामीणों ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से आग्रह करते हुए कहा कि वे अचानक इस क्षेत्र का दौरा करें तो पता चलेगा कि उनके प्रदेश में विकास की क्या गति हैऔर यह लोग उसे विकास से कोसों दूर क्यों है ? गांव के सैकड़ो लोगों को  सिलिकोसिस बीमारी होती है और वह मर जाते हैं। यहां के लोगों का मुख्य धंधा खेती नहीं है वे पशुपालते हैं और क्षेत्र मेंपत्थर की खानों में काम कर अपना गुजारा करने की कोशिश करते हैं। गांव में बिजली और सभी सुविधाओं के अभाव के कारण यहां के बच्चे अनपढ़ हैं और कुछ बच्चे पढ़ने के लिए दूसरे गांव में जाने के लिए मजबूर है। डांग क्षेत्र के यह गांव करौली जिले से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पर यहां सरकार और कलेक्टर की निगाहें क्यों नहीं गई है इस पर सवालिया निशान खड़ा होता है ? 

भाजपा की डबल इंजन की सरकार सबका साथ सबका विकास का नारा देती है पर यह नारा इन गांवों रहने वाले लोगों के लिए अछूता नजर आता है।ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मांग करते हुए कहा है कि वे खुद और अपने आला अफसर को भेजकर हमारे गांव हल को देखें। प्रभारी मंत्री और सचिव इन गांव की ओर क्यों नहीं आते और कैंप लगाकर रात्रि विश्राम कर जाने की हमारे लोग किस हालत में जीने को मजबूर है। मुझे इस क्षेत्र में जाकर ऐसा लगा कि डांग क्षेत्र का विकास ना के बराबर है उसे पर अधिक ध्यान दिया जाए तो निश्चित तौर पर इन लोगों की जिंदगी बदल सकती है।

Previous
Next

Related Posts