राजस्थान की वर्तमान सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल के अंतिम छह महीनों में गठित किए गए 26 बोर्डों सहित कुल 34 बोर्डों को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इन बोर्डों को न तो अब तक कोई बजट आवंटित किया गया है और न ही इनके अध्यक्ष या सदस्यों की नियुक्ति की गई है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने शुक्रवार को विधानसभा में स्पष्ट संकेत दिए कि इन बोर्डों को अभी शुरू करने का कोई इरादा नहीं है।
कांग्रेस विधायक सीएल प्रेमी द्वारा इन बोर्डों व आयोगों को चालू करने को लेकर सवाल पूछे जाने पर मंत्री ने इसे एक नीतिगत निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि "पिछली सरकार ने चुनाव से ठीक छह महीने पहले जिस तरह इन बोर्डों और आयोगों का गठन किया, उस पर सरकार के स्तर पर विचार लंबित है। इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है, आगे विचार किया जाएगा।"
विधानसभा में अविनाश गहलोत ने बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने कुल 36 नए बोर्ड और आयोग बनाए थे। वर्तमान सरकार ने इनमें से केवल देवनारायण बोर्ड और राज्य एससी व एसटी वित्त विकास निगम में अध्यक्ष की नियुक्ति की है और इन्हें बजट भी आवंटित किया गया है। शेष बोर्डों की स्थिति पर उन्होंने कहा कि कुल 43 बोर्डों में से 7 पहले से कार्यरत थे,जबकि 36 नए बोर्ड कांग्रेस शासनकाल के अंतिम चरण में बनाए गए थे।