Tuesday, 01 April 2025

राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पहली बार दिखा दुर्लभ कैराकल, वन मंत्री ने साझा की जानकारी


राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पहली बार दिखा दुर्लभ कैराकल, वन मंत्री ने साझा की जानकारी

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) में पहली बार दुर्लभ कैराकल (स्याहगोश) कैमरा ट्रैप में कैद हुआ है। यह बिल्ली प्रजाति का मांसाहारी वन्यजीव है, जिसकी भारत में 50 से भी कम आबादी होने का अनुमान है। राजस्थान के पर्यावरण एवं वन मंत्री संजय शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इसकी जानकारी साझा की। इससे पहले बीते वर्ष रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भी कैराकल नजर आया था।

कैमरा ट्रैप में कैद हुआ कैराकल

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक मुथु सोमासुंदरम ने बताया कि हर साल दो बार होने वाले सर्वे के लिए रिजर्व में कैमरा ट्रैप लगाए जाते हैं। इस साल फरवरी में किए गए सर्वे के दौरान एक कैराकल कैमरे में कैद हुआ। हालांकि, इसके डाटा ट्रांसफर के दौरान मार्च में इसका पता चला। यह मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में पहली बार रिकॉर्ड हुआ है, जिससे यहां जैव विविधता का और विस्तार हुआ है।

कैसा होता है कैराकल?

  • कैराकल एक लंबी टांगों और छोटी पूंछ वाला मांसाहारी शिकारी बिल्ली प्रजाति का जीव है।
  • इसकी ऊंचाई 17 से 24 इंच होती है, जबकि नर का वजन 13 से 18 किलो और मादा का वजन 11 किलो तक होता है।
  • इसका रंग वाइन रेड, ग्रे या रेतीले रंग का होता है, जबकि आंखों के ऊपर काले धब्बे होते हैं।
  • यह शिकार को पकड़ने के लिए 7 से 8 फीट तक ऊंची छलांग लगा सकता है।
  • कैराकल की खासियत यह है कि यह लंबे समय तक बिना पानी पिए रह सकता है और अपनी जल आवश्यकताओं को शिकार से प्राप्त कर लेता है।

कैसे करता है शिकार?

कैराकल आमतौर पर नेवला, चूहा, पक्षी, खरगोश, छोटे हिरण और बंदरों का शिकार करता है। यह पहले शिकार के करीब 15 से 20 फीट तक चुपचाप पहुंचता है और फिर अचानक छलांग लगाकर हमला करता है। इसके निशाने पर आए शिकार को यह गर्दन से पकड़कर मारता है। जंगल में यह शिकारी खुद को बाघ, शेर, पैंथर और हाइना से बचाने के लिए सपाट लेटकर छिप जाता है।

कैसे करता है अपने क्षेत्र की पहचान?

कैराकल अन्य शिकारी बिल्लियों की तरह अपने क्षेत्र को गंध से चिह्नित करता है। मादाएं शिकार की उपलब्धता के आधार पर 5 से 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में रहती हैं, जबकि नर का क्षेत्र 19 से 220 वर्ग किलोमीटर तक फैला हो सकता है।

राजस्थान में दूसरी बार दिखा कैराकल

इससे पहले दिसंबर 2024 में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भी एक कैराकल देखा गया था। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में इसकी मौजूदगी से यह स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में जैव विविधता का अच्छा विकास हो रहा है। वन विभाग इसे एक सकारात्मक संकेत मान रहा है, जिससे यह साबित होता है कि जंगल का पारिस्थितिक संतुलन बेहतर हो रहा है।

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पहली बार कैराकल दिखने से वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों में उत्साह है। वन विभाग की टीमें इस क्षेत्र में और शोध करने की योजना बना रही हैं, ताकि इस दुर्लभ जीव की सही आबादी और रहन-सहन के तरीके का बेहतर अध्ययन किया जा सके।

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