Friday, 14 March 2025

पैरालंपिक पदक विजेता दीपा मलिक की आत्मकथा 'ब्रिंग इट ऑन' में जीवन संघर्ष और मोदी सरकार के खेल सुधारों का जिक्र


पैरालंपिक पदक विजेता दीपा मलिक की आत्मकथा 'ब्रिंग इट ऑन' में जीवन संघर्ष और मोदी सरकार के खेल सुधारों का जिक्र

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शनिवार को भारत की पहली महिला पैरालंपिक पदक विजेता दीपा मलिक ने अपनी आत्मकथा 'ब्रिंग इट ऑन' में अपने जीवन के संघर्षों और उपलब्धियों को पत्रकारों से बातचीत करते हुए साझा किया । इस पुस्तक में उन्होंने न केवल अपनी कठिनाइयों और खेल जगत में सफर का जिक्र किया है, बल्कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद खेलों में हुए बड़े बदलावों पर भी प्रकाश डाला है।

दीपा मलिक के दावे और अनुभव:खेलों में सुधार: दीपा मलिक ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद भारत में खेलों के प्रति दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनुभव:उन्होंने पीएम मोदी के साथ जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने हमेशा खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया।पीएम ने खिलाड़ियों के लिए बेहतर संसाधन, प्रोत्साहन और सम्मान सुनिश्चित किया।

पुस्तक का उद्देश्य:प्रेरणा का स्रोत: 'ब्रिंग इट ऑन' का उद्देश्य देश के युवाओं और खिलाड़ियों को संघर्ष से उबरने और जीत की ओर बढ़ने की प्रेरणा देना है।

जीवन के संघर्ष: दीपा मलिक ने अपने व्यक्तिगत जीवन की चुनौतियों का जिक्र करते हुए दिखाया कि कैसे उन्होंने हर मुश्किल का सामना करते हुए सफलता हासिल की।

खेलों में बदलाव पर टिप्पणी:नीति और प्रोत्साहन: दीपा ने बताया कि खेलो इंडिया अभियान, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) जैसी नीतियों ने खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने में मदद की।

पैरालंपिक खेलों को पहचान: उन्होंने कहा कि पैरालंपिक खेलों को जो सम्मान और समर्थन आज मिल रहा है, वह 2014 के बाद की सरकार की दूरदर्शिता और नीतियों का नतीजा है।

दीपा मलिक का कहना है कि संघर्ष ही सफलता की पहली सीढ़ी है। उनकी किताब उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में किसी न किसी चुनौती का सामना कर रहे हैं।

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