जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शनिवार को भारत की पहली महिला पैरालंपिक पदक विजेता दीपा मलिक ने अपनी आत्मकथा 'ब्रिंग इट ऑन' में अपने जीवन के संघर्षों और उपलब्धियों को पत्रकारों से बातचीत करते हुए साझा किया । इस पुस्तक में उन्होंने न केवल अपनी कठिनाइयों और खेल जगत में सफर का जिक्र किया है, बल्कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद खेलों में हुए बड़े बदलावों पर भी प्रकाश डाला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनुभव:उन्होंने पीएम मोदी के साथ जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने हमेशा खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया।पीएम ने खिलाड़ियों के लिए बेहतर संसाधन, प्रोत्साहन और सम्मान सुनिश्चित किया।
जीवन के संघर्ष: दीपा मलिक ने अपने व्यक्तिगत जीवन की चुनौतियों का जिक्र करते हुए दिखाया कि कैसे उन्होंने हर मुश्किल का सामना करते हुए सफलता हासिल की।
पैरालंपिक खेलों को पहचान: उन्होंने कहा कि पैरालंपिक खेलों को जो सम्मान और समर्थन आज मिल रहा है, वह 2014 के बाद की सरकार की दूरदर्शिता और नीतियों का नतीजा है।
दीपा मलिक का कहना है कि संघर्ष ही सफलता की पहली सीढ़ी है। उनकी किताब उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में किसी न किसी चुनौती का सामना कर रहे हैं।