



जयपुर। दुर्गापुरा के शांतिनगर स्थित शांतेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रही संगीतमय राम कथा का माहौल बुधवार को अत्यंत भावुक हो गया, जब अयोध्या के सुविख्यात कथावाचक डॉ. उमाशंकर दास महाराज ने श्रीरामचरितमानस के राम-सीता तथा लक्ष्मण के वनगमन प्रसंग का हृदयस्पर्शी वर्णन किया। कथा के दौरान उन्होंने वनगमन के कठिन क्षण, जनकदुलारी सीता की विरह भावनाएँ और भगवान श्रीराम की धर्मनिष्ठा एवं आदर्शों को अत्यंत संवेदनशील शैली में प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर पंडाल में बैठे श्रद्धालुओं की आँखें नम हो गईं।
व्यासपीठ पर विराजित डॉ. उमाशंकर दास महाराज ने आगे निषादराज और भगवान श्रीराम के मिलन प्रसंग का भावपूर्ण चित्रण किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार निषादराज ने अपने सखा राम का स्वागत प्रेम, सम्मान और विनम्रता से किया। राम-सखा मिलन के इस प्रसंग को सुनकर पूरा पंडाल "जय श्रीराम" के जयकारों से गूँज उठा और श्रद्धालु भक्ति एवं भाव-विभोरता से सराबोर हो गए।
मुख्य संयोजक रवि शर्मा ने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में पधारकर अमृतमय संगीतमय राम कथा का श्रवण करें तथा भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन से प्रेरणा प्राप्त करें। शांतिनगर में यह राम कथा प्रतिदिन गायक मंडली के संगीतमय भजनों और कथावाचन की लयबद्ध प्रस्तुति से भक्तिमय वातावरण निर्मित कर रही है।