Friday, 12 December 2025

टिब्बी क्षेत्र में एथेनॉल फैक्ट्री विवाद गहराया: चौथे दिन भी तनाव बरकरार, इंटरनेट बंद,कलेक्टर एसपी को हटाने की मांग


टिब्बी क्षेत्र में एथेनॉल फैक्ट्री विवाद गहराया: चौथे दिन भी तनाव बरकरार, इंटरनेट बंद,कलेक्टर एसपी को हटाने की मांग

हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र में निर्माणाधीन ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड प्लांट को लेकर जारी विवाद अब तेज तनाव में बदल गया है। लगातार चार दिन से हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं, जिसके चलते प्रशासन ने शुक्रवार को भी पूरे इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद रखने का निर्णय लिया। गाँव में सन्नाटा पसरा है, कई घरों में ताले लटके हैं और बड़ी संख्या में ग्रामीण गुरुद्वारे में शरण लेकर रातें गुजार रहे हैं।

टिब्बी स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा आंदोलनकारियों का अस्थायी ठिकाना बन चुका है। महिलाएं, बच्चे और घायल ग्रामीण इसी परिसर में सुरक्षा तलाश रहे हैं। बुधवार को हुई हिंसा में घायल हुए कई लोगों का प्राथमिक उपचार भी यहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस कार्रवाई के बाद वे अपने ही गांव में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे।

दोपहर में गुरुद्वारे में कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई, जिसमें किसान नेताओं ने स्पष्ट कहा कि जब तक हनुमानगढ़ कलेक्टर और एसपी का स्थानांतरण नहीं होता, प्रशासन से कोई बातचीत नहीं की जाएगी। ग्रामीणों का आरोप है कि शांतिपूर्ण आंदोलन पर प्रशासन ने बल प्रयोग किया, जिससे हालात बिगड़े।

गुरुद्वारे में मौजूद महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने गोली चलाई और इसके प्रमाण स्वरूप उन्होंने कथित कारतूसों के खोल भी दिखाए। दूसरी ओर, पुलिस ने फायरिंग से साफ इनकार किया है। एडीजी वीके सिंह का कहना है कि 10 दिसंबर को हालात सामान्य थे, लेकिन बाहर से आए लोगों ने भीड़ को भड़काया, जिससे स्थिति बेकाबू हुई।

पुलिस का दावा है कि फैक्ट्री विवाद में शामिल कई लोग स्थानीय नहीं थे, जबकि किसानों का कहना है कि पुलिस ने बिना वजह बल प्रयोग किया। गुरुवार को दो दौर की वार्ता हुई, लेकिन नतीजा नहीं निकला। किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि 17 दिसंबर को कलेक्ट्रेट घेराव किया जाएगा।

गुरुवार देर शाम भाजपा विधायक गुरवीर सिंह बराड़ समेत कई जनप्रतिनिधि गुरुद्वारे पहुंचे और ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील की। मंत्री जोगाराम पटेल ने घटना को “प्रायोजित” बताया और कहा कि यह असली किसानों का आंदोलन नहीं, बल्कि बाहर से लोगों को लाकर कराया गया विरोध था।

क्या हुआ था 10 दिसंबर को?

प्रदर्शन उस वक्त भड़क उठा, जब ग्रामीणों ने एथेनॉल प्लांट की बाउंड्री वॉल तोड़कर अंदर प्रवेश कर कार्यालय में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस और ग्रामीणों में तीखी झड़प हुई, जिसमें करीब 70 लोग घायल हुए, जिनमें कांग्रेस विधायक भी शामिल थे। स्थिति बिगड़ने के बाद इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई और भारी पुलिस बल तैनात किया गया।

महिलाओं की चिंता—“पानी जहर बनेगा, सांस लेना मुश्किल होगा”

स्थानीय महिलाओं ने आरोप लगाया कि प्लांट शुरू होने से पानी और हवा प्रदूषित होगी, जिससे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा बढ़ेगा। ग्रामीणों का कहना है कि उनके लिए स्वच्छ पानी और हवा मूल अधिकार है और वे इसे लेकर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे।

16 महीने से जारी संघर्ष

गाँव में विरोध का सिलसिला नया नहीं है। सितंबर 2024 से जून 2025 तक 10 महीने शांतिपूर्ण आंदोलन चला। जुलाई 2025 में बाउंड्री निर्माण शुरू होते ही विवाद तेज हुआ। कई दौर की भिड़ंत और गिरफ्तारियां हुईं।

कंपनी का दावा—प्रोजेक्ट से होंगे 700-800 रोजगार

चंडीगढ़ रजिस्टर्ड ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड अपनी 40 मेगावाट क्षमता वाली यूनिट को सरकार के एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल कार्यक्रम का हिस्सा बता रही है। कंपनी का कहना है कि प्लांट से हजारों किसानों और श्रमिकों को रोजगार व आर्थिक लाभ मिलेगा। हनुमानगढ़ का यह विवाद अब प्रदेश की बड़ी कानून-व्यवस्था और पर्यावरण बहस का केंद्र बन गया है। आने वाले दिनों में प्रशासन और किसानों के बीच संवाद से ही समाधान निकलने की उम्मीद है।

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