Saturday, 06 December 2025

ED की बड़ी कार्रवाई: अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों की 1,120 करोड़ की संपत्तियां अटैच, कुल जब्ती पहुंची 10 हजार 117 करोड़


ED की बड़ी कार्रवाई: अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों की 1,120 करोड़ की संपत्तियां अटैच, कुल जब्ती पहुंची 10 हजार 117 करोड़

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत शुक्रवार को अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप पर एक और बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने समूह से जुड़ी 1,120 करोड़ रुपए की नई संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है। इस ताजा कार्रवाई के साथ अब तक रिलायंस ग्रुप के खिलाफ 10,117 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं, जो इस मामले में अब तक की सबसे बड़ी जब्ती मानी जा रही है।

ED के अनुसार, इस बार जिन 18 संपत्तियों को फ्रीज किया गया है, उनमें मुंबई के बॉलार्ड एस्टेट स्थित प्रतिष्ठित रिलायंस सेंटर, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक बैलेंस और अनलिस्टेड निवेश शामिल हैं। साथ ही, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की 7, रिलायंस पावर की 2 तथा रिलायंस वैल्यू सर्विसेज की 9 संपत्तियों को भी अटैच किया गया है। इसके अलावा ED ने रिलायंस वेंचर एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और फाई मैनेजमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के निवेश और FD भी फ्रीज किए हैं।

यह कार्रवाई उसी सिलसिले में है जिसके तहत 20 नवंबर को अनिल अंबानी समूह की लगभग 1,400 करोड़ की प्रॉपर्टीज अटैच की गई थीं। उससे पहले 3 नवंबर को ईडी ने नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) की करीब 4,462.81 करोड़ रुपए मूल्य की 132 एकड़ जमीन भी अटैच की थी।

इसके अलावा अब तक ग्रुप से जुड़ी 40 से अधिक संपत्तियों को फ्रीज किया जा चुका है, जिनमें अनिल अंबानी का पाली हिल वाला बंगला भी शामिल है। इन जब्त संपत्तियों की कुल वैल्यू 3,084 करोड़ से अधिक बताई गई थी।

जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

ED की जांच में सामने आया कि रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस (RCFL) में बड़े पैमाने पर फंड्स का गलत इस्तेमाल और डायवर्जन हुआ।

2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RHFL में 2,965 करोड़ और RCFL में 2,045 करोड़ का निवेश किया था। दिसंबर 2019 तक ये रकम NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) बन गई। RHFL का 1,353 करोड़ और RCFL का 1,984 करोड़ अब भी बकाया है, जिससे यस बैंक को 2,700 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ।

ED के अनुसार, जांच में पाया गया कि—

  • फंड्स रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों में डायवर्ट किए गए

  • कई लोन उसी दिन अप्लाई, अप्रूव और डिस्बर्स हो गए

  • कई मामलों में फील्ड चेक और मीटिंग्स नहीं हुईं

  • कई डॉक्यूमेंट्स ब्लैंक या डेटलेस मिले

इससे पहले भी बैंक लोन फ्रॉड मामलों में ED, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस होम फाइनेंस की 8,997 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियां अटैच कर चुकी है।

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