



संसद के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार का दिन बेहद अहम रहा। लोकसभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तीन प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए, जिनमें सबसे चर्चित बिल मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से जुड़ा था। थरूर ने संसद में कहा— “शादी किसी भी तरह हिंसा का लाइसेंस नहीं है। किसी भी परिस्थिति में पत्नी की सहमति आवश्यक है। विवाह के भीतर भी महिलाओं को समान अधिकार और सुरक्षा मिलनी चाहिए।”
थरूर द्वारा पेश किए गए अन्य दो बिल राज्यों के पुनर्गठन, कामकाजी लोगों के काम के घंटे, और मानसिक स्वास्थ्य सुधार से संबंधित हैं। उनका कहना है कि लंबी व अव्यवस्थित कार्य अवधि लाखों कर्मचारियों की कार्यक्षमता व मानसिक सेहत को प्रभावित करती है, इसलिए इस दिशा में कानूनी स्पष्टता जरूरी है।
इसी दौरान राज्यसभा में भाजपा सांसद भीम सिंह ने संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष (Secular) और समाजवादी (Socialist) शब्द हटाने का बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि ये शब्द 1976 में आपातकाल के दौरान बिना व्यापक चर्चा के शामिल किए गए थे। भीम सिंह के अनुसार प्रस्तावना को संविधान के मूल स्वरूप के अनुरूप बनाया जाना चाहिए, जैसा यह 1950 में लागू हुई थी।
दोनों सदनों में पेश हुए ये बिल राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बन गए हैं। मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने का मुद्दा वर्षों से न्यायपालिका और महिला अधिकार संगठनों के बीच प्रमुख विषय रहा है, जबकि प्रस्तावना से शब्द हटाने का प्रस्ताव राजनीतिक विमर्श को नई दिशा दे सकता है।