Saturday, 06 December 2025

जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025 का भव्य आगाज़: राजस्थान की कला, संस्कृति और विरासत का अद्भुत संगम


जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025 का भव्य आगाज़: राजस्थान की कला, संस्कृति और विरासत का अद्भुत संगम

राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का अनुपम वैभव शनिवार को जयपुर के ऐतिहासिक जयगढ़ किले में जीवंत हो उठा। यहां शुरू हुए 'जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2025' के दूसरे संस्करण ने राजस्थान की परंपराओं, कलाओं, लोक संस्कृति और कारीगरी को एक ही मंच पर सजीव रूप में प्रस्तुत किया। दिनभर चले इस अवसर में लोकनृत्य, लोकसंगीत, शिल्प बाजार, पारंपरिक क्राफ्ट वर्कशॉप और विरासत आधारित गतिविधियाँ आयोजित हुईं, जिसने सैकड़ों दर्शकों को आकर्षित किया।

जयपुर राजपरिवार के प्रमुख पद्मनाभ सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए इसे केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि विरासत संरक्षण का महत्वपूर्ण मिशन बताया। उन्होंने कहा कि सवाई जयसिंह द्वितीय ने जिस दूरदृष्टि के साथ जयपुर का निर्माण किया था, आज उसी विरासत को संरक्षित और पुनर्जीवित करना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि ब्लॉक प्रिंटिंग, मिरर वर्क, लोकगीत, वाद्ययंत्र और राजस्थान के खानपान को एक मंच पर प्रदर्शित करने का उद्देश्य यह है कि नई पीढ़ी अपनी जड़ों और संस्कृति से गहराई से जुड़ सके।

ऐतिहासिक 36 कारखानों के पुनर्जीवन पर विशेष फोकस

जयपुर की समृद्ध आर्थिक-सांस्कृतिक पहचान का प्रमुख आधार रहे 36 परंपरागत कारखाने कभी आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक विस्तार के केंद्र हुआ करते थे। आधुनिकता के दौर में इनमें से कई पारंपरिक उद्योग विलुप्ति की कगार पर हैं। फेस्टिवल में बंधेज-बांधनी, ब्लॉक प्रिंटिंग (सांगानेरी-बगरू), लाख की चूड़ियां, मार्बल क्राफ्ट, मिनिएचर पेंटिंग सहित कई परंपरागत कलाओं के पुनरोद्धार, बाज़ार विस्तार और कलाकारों को नए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया।

फेस्टिवल को सप्ताहभर तक बढ़ाने की तैयारी

टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजय के. रॉय ने बताया कि अगली बार फेस्टिवल को 6–7 दिनों तक आयोजित किया जाएगा, ताकि अधिक कलाकारों, विद्वानों और दर्शकों को राजस्थान की गहरी सांस्कृतिक जड़ों का अनुभव करने का अवसर मिल सके।
वेदांता रिसोर्सेज की निदेशक प्रिया अग्रवाल ने इसे “भारत की सांस्कृतिक विरासत का उमंगों से भरा उत्सव” करार दिया।

लोकप्रिय कलाकारों ने बांधा समां

शाम के संगीत सम्मेलन में राजस्थान की विरासत और आधुनिक संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस दौरान

  • पापोन लाइव,

  • कबीर कैफे,

  • द अनिरुद्ध वर्मा कलेक्टिव
    जैसे दिग्गज कलाकारों ने प्रस्तुति दी।

इसके अतिरिक्त रॉयस्टन एबेल का अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शो ‘द मंगणियार सेडक्शन’ भी मंचित हुआ, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कठपुतली और लोककला की रंगारंग प्रस्तुति

राजस्थान की अनूठी कठपुतली परंपरा को नाथू लाल सोलंकी और मोहम्मद शमीम की टीम ने जीवंत किया।
लोक कलाकार श्योपत जूलिया ने देशी वाद्ययंत्रों, लोकधुनों और प्राचीन रागों की प्रस्तुति से दर्शकों को राजस्थान की विरासत का अप्रतिम अनुभव कराया। फेस्टिवल का उद्देश्य न केवल मनोरंजन था, बल्कि राजस्थान की लोक परंपराओं, कारीगरी और कलाओं को आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रूप से पहुँचाना भी रहा।

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