



राजस्थान सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राजभवन का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ कर दिया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे द्वारा इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है, जो 1 दिसंबर से प्रभावी हो गई है। इसके बाद अब राज्यपाल के आधिकारिक कार्यस्थल को ‘लोकभवन’ के नाम से जाना जाएगा। इस कदम को राज्य में औपनिवेशिक मान्यताओं से मुक्ति और भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों की ओर अग्रसर होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
राज्यपाल बागडे ने कहा कि ‘लोकभवन’ नामकरण केवल एक बदलाव नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति और संवैधानिक भावना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमारे संविधान की उद्देशिका ‘हम भारत के लोग’ से शुरू होती है। लोकतंत्र में लोक ही सर्वोपरि है, इसलिए राज्यपाल का कार्यस्थल अब ‘लोकभवन’ कहलाएगा।
राजस्थान इस पहल को अपनाने वाला देश का नौवां राज्य बन गया है। इससे पहले देश के आठ राज्यों में राजभवन का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ किया जा चुका है। वहीं केंद्र शासित प्रदेशों में राजभवन को ‘राजनिवास’ कहा जाता है, जिसे बदलकर ‘लोकनिवास’ करने की तैयारी चल रही है।
लोकभवन नाम लागू होने के साथ ही प्रशासनिक और विभागीय स्तर पर बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राजभवन की सभी स्टेशनरी, लेटरहेड, रिकॉर्ड, आधिकारिक दस्तावेज, साइन बोर्ड और नेम प्लेट नए नाम के अनुसार बदले जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार यह परिवर्तन चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इस निर्णय को लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त करने और औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाने के दृष्टिकोण से एक सराहनीय कदम बताया जा रहा है। इससे राज्यपाल कार्यालय की पहचान ‘राजसत्ता’ से हटकर ‘जनसत्ता’ की ओर रूपांतरित होती दिखाई दे रही है।