



कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और टोंक विधायक सचिन पायलट ने शनिवार को अपने विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत में निर्वाचन आयोग द्वारा विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) की समय सीमा बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह निर्णय बहुत पहले लिया जाना चाहिए था।
पायलट ने कहा कि “अब सिर्फ सात दिन का समय बढ़ाया गया है, जिससे लोगों को कुछ राहत मिलेगी, लेकिन यह फैसला शुरुआत में ही लेना चाहिए था। कई राज्यों से जानकारी मिल रही थी कि BLO पर दबाव बढ़ रहा है, और कुछ जगहों पर कर्मचारी आत्महत्या तक कर रहे हैं। यह बेहद चिंताजनक स्थिति थी।”
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग का कर्तव्य है कि कोई भी भारतीय नागरिक अपने मताधिकार से वंचित न रह जाए। इसलिए अब जब समय बढ़ाया गया है, तो अधिकारी और कर्मचारी इस अवधि का पूर्ण उपयोग करें ताकि हर पात्र मतदाता का नाम वोटर लिस्ट में शामिल हो सके।
पायलट ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा —
“हम देख रहे हैं कि केंद्र सरकार हर बड़े निर्णय में जल्दबाज़ी करती है और बाद में बदलाव करने पर मजबूर हो जाती है। जब नोटबंदी हुई तो बार-बार नियम बदले गए, GST लागू करने के बाद 8 साल में उसमें बदलाव किए जा रहे हैं। पहले जब कांग्रेस जातिगत जनगणना की बात करती थी तो बीजेपी हमें ‘अरबन नक्सली’ कहती थी, और अब वही सरकार जातिगत जनगणना कर रही है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले ही कहा था कि SIR के लिए दिया गया समय कम है, अब जब इसे बढ़ाया गया है तो यह जनता के पक्ष में एक सकारात्मक कदम है। पायलट ने उम्मीद जताई कि निर्वाचन आयोग निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ काम करेगा, क्योंकि यदि काम में पक्षपात होगा तो यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ होगा।