



जयपुर। सीतापुरा स्थित विज्ञान भारती पार्क में रविवार को “एक वृक्ष माँ के नाम” कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने प्रकृति संरक्षण को भारतीय संस्कृति का मूल तत्व बताते हुए पर्यावरण संतुलन के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हवा, पानी और मिट्टी की शुद्धता न रखना ही आज के गंभीर पर्यावरणीय संकट की सबसे बड़ी वजह है। पेड़ धरती का अलंकरण हैं और उनका संरक्षण उतना ही आवश्यक है जितना उनका रोपण।
कार्यक्रम में राज्यपाल बागडे ने कहा कि विज्ञान भारती का यह प्रयास अनुकरणीय है, जिसने पहले अनुपयोगी रहे डंपिंग यार्ड को वृक्षारोपण द्वारा “ऑक्सी जोन” का स्वरूप दे दिया। यह क्षेत्र आने वाली पीढ़ियों के लिए शुद्ध वायु का स्रोत और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि वृक्ष लगाने के साथ-साथ उनके पूर्ण विकसित होने तक संरक्षण की भावना भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
बागडे ने पारिस्थितिकी तंत्र के बिगड़ते संतुलन पर चिंता जताई और कहा कि जब पेड़ कटते हैं तो केवल हरियाली ही नहीं घटती, बल्कि वहां रहने वाले जीवों का आवास भी नष्ट होता है, जिससे प्रकृति का तंत्र डगमगाने लगता है। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्रों में हरित पहल, कचरा प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, पर्यावरण शिक्षा और जन-जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर हरियाणा के भाजपा प्रभारी सतीश पूनिया भी मौजूद रहे।
विज्ञान भारती के डॉ. मेघेन्द्र शर्मा ने बताया कि संगठन ने जयपुर, अलवर और सीकर जिलों में अनुपयोगी भूमि को हरे-भरे क्षेत्रों में विकसित करने की विशेष मुहिम शुरू की है। कार्यक्रम की शुरुआत राज्यपाल द्वारा ‘कल्पवृक्ष’ का रोपण कर की गई, जो इस अभियान का प्रतीकात्मक शुभारंभ था।