



राजस्थान में शहरी निकायों का कार्यकाल लगातार समाप्त हो रहा है और हजारों वार्डों में प्रशासनिक नियंत्रण लागू हो चुका है। ऐसे में राज्य सरकार पर चुनाव जल्दी कराने का दबाव बढ़ता जा रहा है। इसी बीच शहरी विकास एवं आवासन राज्यमंत्री झाबर सिंह खर्रा ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार फरवरी–मार्च 2026 तक निकाय चुनाव कराने का प्रयास करेगी।
शहरी विकास एवं आवासन राज्यमंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि सरकार पहले दिसंबर–जनवरी में ही चुनाव कराने के लिए तैयार थी, लेकिन ओबीसी आयोग की लंबी प्रक्रिया और विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान शुरू होने के कारण चुनाव कराना संभव नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि सरकार "एक राज्य–एक चुनाव" के सिद्धांत को आगे बढ़ा रही है, इसलिए चुनाव प्रक्रिया को व्यवस्थित तरीके से पूरा करने के लिए थोड़ा समय चाहिए।
स्थानीय निकायों में प्रशासक लगाए जाने पर उठ रहे प्रश्नों पर मंत्री ने कहा कि अधिकारियों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि जनता की समस्याओं की तुरंत सुनवाई हो। जो अफसर लापरवाही करेगा, उसे परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व पार्षद भी जनता और अफसरों के बीच सेतु की भूमिका निभा सकते हैं, जबकि नेताओं से उम्मीद है कि वे जनता के बीच सक्रिय रहें ताकि समस्याओं का समय पर समाधान हो सके।
हाईकोर्ट के लगातार चुनाव कराने के आदेशों के बारे में पूछे जाने पर मंत्री खर्रा ने कहा कि सरकार अदालत का पूरा सम्मान करती है, लेकिन वर्तमान में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चल रहा है। इसकी जानकारी कोर्ट को दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जैसे ही पुनरीक्षण प्रक्रिया पूरी होगी, चुनाव कराने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जाएंगे।
विपक्ष सरकार पर चुनाव टालने का आरोप लगा रहा है, वहीं लाखों मतदाताओं में यह सवाल बना हुआ है कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अभाव में स्थानीय समस्याओं के समाधान में देरी होगी। सरकार का दावा है कि प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत है और जनता की शिकायतों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जाएगा।