



जयपुर। केंद्र सरकार ने 22 सितंबर से खानपान से जुड़े पैक्ड आइटम पर जीएसटी दरें कम कर दीं, रेलवे ने भी यात्रियों को सीधे लाभ देने के लिए संशोधित दरें लागू कर दीं, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। जयपुर जंक्शन और गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर आज भी अधिकांश फूड स्टॉल्स पानी, बिस्कुट, नमकीन और अन्य पैक्ड आइटम पुराने दामों पर ही बेच रहे हैं। यात्रियों की शिकायतें सोशल मीडिया पर लगातार सामने आ रही हैं, मगर वेंडरों की मनमानी पर न तो रोक लग रही है और न ही रेलवे की निगरानी व्यवस्था में कोई सख्ती दिख रही है। राजस्थान पत्रिका की टीम ने दोनों स्टेशनों पर पड़ताल की तो ओवरचार्जिंग के चौंकाने वाले मामले सामने आए।
सरकार द्वारा दरें घटाए जाने के बाद रेल नीर का मूल्य भी कम किया गया, पर वास्तविकता यह है कि अधिकांश वेंडर पुराने रेट का ही पैसा वसूल रहे हैं। ट्रेन पकड़ने की जल्दी में यात्रियों की नजर अक्सर पैकिंग पर अंकित एमआरपी पर नहीं जाती। कई बार एक या दो रुपए का अंतर दिखे भी तो यात्री बहस नहीं करते। वेंडर इसी मनोविज्ञान का फायदा उठाकर रोजाना हजारों यात्रियों से अधिक राशि वसूलते हैं। जयपुर जंक्शन से प्रतिदिन 200 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं और 80 हजार से एक लाख यात्री यहां से सफर करते हैं, यानी रोजाना बड़ी संख्या में लोग ओवरचार्जिंग का शिकार बनते हैं।
पड़ताल के दौरान जयपुर जंक्शन पर प्लेटफार्म नंबर-1 पर सीढ़ियों के पास एक स्टॉल से खरीदे गए नमकीन के पैकेट पर 18.75 रुपए प्रिंट थे, लेकिन वेंडर ने 20 रुपए ले लिए। पूछने पर उसने सहज ही कहा, “अभी कौन देता है 25 पैसे?” ऐसे ही कई जगह पानी की बोतलें 14 की बजाय 15 रुपए में धड़ल्ले से बेची जा रही थीं। कुछ बोतलों पर पुरानी और नई दोनों कीमतें छपी थीं, जिससे यात्री और भी उलझन में पड़ रहे थे।
गांधीनगर स्टेशन की स्थिति भी अलग नहीं थी। प्लेटफार्म नंबर-1 पर एक वेंडर ने 14 रुपए अंकित पानी की बोतल के 15 रुपए वसूल लिए। यात्री ने विरोध किया तो वेंडर बोला—“एक रुपए में क्या फर्क पड़ता है?” प्लेटफार्म नंबर-2 पर भी ट्रेन रुकते ही वेंडरों को पुराने दामों पर पानी, बिस्कुट और नमकीन बेचते देखा गया। रेलवे द्वारा लगातार मॉनिटरिंग का दावा किए जाने के बावजूद वास्तविक व्यवस्था सवालों के घेरे में है। जीएसटी कम होने के बाद भी यात्रियों को राहत न मिलना यह दर्शाता है कि स्टेशन स्तर पर नियंत्रण व्यवस्था कमजोर है और वेंडरों पर प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है।