Tuesday, 21 October 2025

अंता उपचुनाव में उर्मिला जैन भाया के नामांकन से सियासी हलचल, कांग्रेस रणनीति पर उठे सवाल


अंता उपचुनाव में उर्मिला जैन भाया के नामांकन से सियासी हलचल, कांग्रेस रणनीति पर उठे सवाल

बारां। अंता विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी और जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया के अचानक नामांकन दाखिल करने से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। शनिवार को उर्मिला जैन ने नामांकन दाखिल किया, जिससे यह अटकलें तेज हो गईं कि क्या वे डमी प्रत्याशी के रूप में उतरी हैं या कांग्रेस को प्रमोद जैन भाया के नामांकन पर किसी कानूनी आशंका का अंदेशा है।

उर्मिला जैन वर्तमान में बारां जिला परिषद की प्रमुख हैं। उन्होंने शनिवार को नामांकन दाखिल किया, जिसमें पूर्व विधायक पानाचंद मेघवाल और अन्य समर्थक मौजूद रहे। उनके इस कदम ने स्थानीय राजनीति में चर्चा का नया दौर शुरू कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस के इस कदम से स्पष्ट होता है कि पार्टी ने किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक रणनीति तैयार रखी है।

अंता उपचुनाव में अब तक चार प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है। प्रमुख दावेदारों में कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया, भाजपा के मोरपाल सुमन, और निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा शामिल हैं। ऐसे में उर्मिला जैन के नामांकन ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।

 प्रमोद जैन भाया पर दर्ज हैं 8 FIR

राजनीतिक हलकों में चर्चा इस बात की भी है कि क्या कांग्रेस को प्रमोद जैन भाया के नामांकन को लेकर कानूनी खतरा महसूस हो रहा है। दरअसल, भाया के खिलाफ बारां, अंता और मांगरोल थानों में कुल 8 एफआईआर दर्ज हैं। इन मामलों में IPC की धारा 379 (चोरी), 384 (उगाही), 420 (धोखाधड़ी), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), 413, 426, 400, 467, 468 और 471 (फर्जी दस्तावेज तैयार करना) जैसी गंभीर धाराएं शामिल हैं।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, यदि किसी कारणवश प्रमोद जैन भाया का नामांकन निरस्त होता है, तो उर्मिला जैन पार्टी की ओर से वैकल्पिक प्रत्याशी के रूप में मैदान में रह सकती हैं।

राजनीतिक समीकरण में नया मोड़

अंता उपचुनाव पहले से ही भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच तीखे मुकाबले में फंसा हुआ था। अब उर्मिला जैन के नामांकन ने चुनावी माहौल को और पेचीदा बना दिया है। स्थानीय स्तर पर यह भी चर्चा है कि कांग्रेस ने यह कदम सुरक्षा कवच रणनीति (defensive strategy) के तहत उठाया है, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति में चुनावी तैयारी पर असर न पड़े।

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