जयपुर। राजस्थान विधानसभा में बुधवार को कांग्रेस विधायकों के हंगामे और वॉकआउट के बीच राजस्थान भूजल प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक पारित कर दिया गया। इस बिल में भूजल दोहन पर नियंत्रण के लिए कई कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। इससे पहले इसे प्रवर समिति को भेजा गया था।
सदन में विपक्ष ने लगातार अतिरिक्त कैमरे लगाए जाने का मुद्दा उठाया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि दो अतिरिक्त कैमरे विपक्ष की जासूसी के लिए लगाए गए हैं और इनके यूट्यूब एक्सेस पर सवाल उठाए। स्पीकर वासुदेव देवनानी की सफाई के बावजूद कांग्रेस विधायक संतुष्ट नहीं हुए और वेल में आकर नारेबाजी करने लगे।
कांग्रेस विधायकों ने प्रश्नकाल का बहिष्कार कर सदन से वॉकआउट किया। जब वे दोबारा लौटे तो सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हो गए। हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि “सस्ती लोकप्रियता ज्यादा दिन तक नहीं चल सकती। मेरी आवाज को पहले भी नहीं रोक पाए और आज भी नहीं रोक पाएंगे। विपक्ष की ताकत तब होती है जब वह जनता की आवाज उठाए, न कि केवल दिखावटी हंगामा करे।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भूजल विधेयक की चिंता नहीं है, बल्कि धर्मांतरण विरोधी बिल पारित होने का दर्द है।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि विधानसभा भवन की स्थापना से ही कैमरे लगे हुए हैं और इनमें ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं है। इसलिए निजता के हनन का प्रश्न नहीं उठता।
संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि कांग्रेस विधायकों के पास हंगामे और बहिष्कार के अलावा कोई एजेंडा नहीं है।
झालावाड़ हादसे में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि देते हुए सदन में दो मिनट का मौन रखा गया। उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और अन्य मंत्रियों ने विभिन्न अधिसूचनाएं और रिपोर्टें सदन में प्रस्तुत कीं।