Thursday, 04 September 2025

महागुरु के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ गुरु सम्मान समारोह, शिक्षा–संस्कार के संकल्प के साथ हुआ भव्य आयोजन


महागुरु के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ गुरु सम्मान समारोह, शिक्षा–संस्कार के संकल्प के साथ हुआ भव्य आयोजन

अजमेर। सनातन धर्म रक्षा संघ अजयमेरू राजस्थान, अंतर्राष्ट्रीय साहित्य परिषद, प्रथम–एक पहल और कला विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में गुरु सम्मान समारोह का भव्य आयोजन गुरुवार, 4 सितम्बर 2025 को प्रेम प्रकाश आश्रम, चौरसिया वास रोड, वैशाली नगर, अजमेर में सम्पन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता महानिर्वाणी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी विशोकानंद भारती जी महाराज ने की। महागुरु ने अपने करकमलों से गुरुजनों का सम्मान कर समाज में शिक्षा और संस्कार की महत्ता को पुष्ट किया।

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रीति से तिलक के साथ हुई, जिसे श्रीमती कृष्णा शर्मा ने संपन्न किया। इसके बाद विजय कुमार शर्मा द्वारा उपर्णा और चंद्रभान प्रजापति द्वारा मोती की माला अर्पित की गई। प्रारंभिक संचालन जज साहब ने किया और आचार्य जी ने अतिथियों का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। मुख्य संचालन विजय कुमार शर्मा ने किया।

समारोह में पहले महिला शिक्षकों और तत्पश्चात पुरुष शिक्षकों को वरीयता क्रम से सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में अक्षय परिहार, दिनेश झांकल, लता मिश्रा, योगेश्वरी शर्मा, संजय जैन, मीना शर्मा, नरेश कुमार, राजेश व्यास, राजीव मिश्रा, राम भरोसी, रंजना शर्मा, सरला शर्मा, विद्या शास्त्री, ख्याति अरोड़ा, डॉ. अतुल दुबे, राजेश्वरी किशनानी, डॉ. रश्मि शर्मा, उर्वशी भगचंदानी, डॉ. गायत्री शर्मा, डॉ. दीपा थदानी, रमा शर्मा, राजेंद्र सरस्वत, प्रताप सिंह, डॉ. शारदा देवड़ा, पंकज शर्मा सहित अनेक शिक्षक शामिल रहे। साथ ही ज्ञान सारस्वत, कंवल प्रकाश किशनानी, चंद्रभान प्रजापति, गोपेश दुबे, नरोत्तम शर्मा, विजय कुमार शर्मा, कमल चारण और देवेंद्र त्रिपाठी को भी महागुरु ने विशेष रूप से माल्यार्पण कर सम्मानित किया।


महानिर्वाणी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी विशोकानंद भारती जी महाराज की अध्यक्षता: महिला–पुरुष शिक्षकों का वरीयता क्रम से सम्मान, “गुरु ही जीवन में प्रकाश का स्रोत”–महागुरु

अपने उद्बोधन में आचार्य महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी विशोकानंद भारती जी महाराज ने कहा कि “गुरु ही जीवन में प्रकाश का स्रोत है। शिक्षक पढ़ाते हैं, परंतु गुरु आत्मा को जाग्रत कर देते हैं।” उन्होंने कहा कि आज शिक्षा को केवल डिग्री व रोजगार तक सीमित कर दिया गया है, जबकि वास्तविक शिक्षा का अर्थ मनुष्य को मूल्य, आचरण और धर्म से जोड़ना है। गुरु का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि जीवन को साधना और साधुता की ओर ले जाना है। महागुरु ने उपस्थित शिक्षकों से आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों में ज्ञान के साथ संस्कार भी जगाएँ।

आयोजन के सफल संचालन में शिखा शर्मा, राजमल प्रजापति, हेमंत वर्मा और संजय कुमार ने सक्रिय सहयोग दिया। गुरुजनों के इस अभिनंदन ने न केवल शिक्षकों को गौरवान्वित किया, बल्कि समाज में शिक्षा–संस्कार की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने का सशक्त संदेश भी दिया।

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