जयपुर। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल में चल रही तीन दिवसीय बीएमकॉन हेमः हीलिंग थ्रू हीमैटोलॉजी कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन ब्लड कैंसर पर नई तकनीकों और उपचार पद्धतियों पर विस्तृत चर्चा की गई। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि पहले ब्लड कैंसर के मरीज कुछ ही माह तक जीवित रह पाते थे, लेकिन आधुनिक चिकित्सा तकनीकों और नई थेरेपीज़ के चलते आज रोगियों का सरवाईवल समय बढ़ गया है।
देवनानी ने कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की और कहा कि आधुनिक जीवनशैली और अशुद्ध आहार इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने खाद्य उत्पादन में रसायनों के प्रयोग की निंदा करते हुए इसे समाज के लिए घातक बताया और साथ ही चिकित्सालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के डायरेक्टर डॉ. सुभाष वर्मा उपस्थित थे। कार्यक्रम में अस्पताल के अध्यक्ष नवरतन कोठारी, चेयरमैन विमल चंद सुराना, उपाध्यक्ष संदीप कोठारी और अधिशासी निदेशक मेजर जनरल एस.सी. पारीक (से.नि.) भी मौजूद रहे।
कॉन्फ्रेंस में देशभर से आए विशेषज्ञों ने ब्लड कैंसर के आधुनिक उपचार, टार्गेटेड थेरेपीज़ और कार-टी सेल थेरेपी जैसे उन्नत तरीकों पर चर्चा की। अहमदाबाद के डॉ. अंकित जितानी ने डीएलबीसीएल में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी पर व्याख्यान दिया, वहीं मुंबई के डॉ. प्रशांत टेम्भरे ने फ्लो साइटोमेट्री इम्यूनोफेनोटाइपिंग की भूमिका समझाई।
दिल्ली के डॉ. विपुल शेट ने कार-टी सेल थेरेपी पर विशेष चर्चा की। यह तकनीक मरीज की टी-कोशिकाओं को लैब में जेनेटिकली मॉडिफाइड कर पुनः शरीर में डालने पर आधारित है, जिससे ये कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट करती हैं। अभी यह इलाज मुख्य रूप से ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायलोमा में उपयोग हो रहा है। विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में विकसित स्वदेशी कार-टी थेरेपी भविष्य में मरीजों के लिए इस इलाज को अधिक किफायती बनाएगी।
अन्य सत्रों में अहमदाबाद के डॉ. नीरज अरोड़ा ने मायलोमा जीनोमिक प्रोफाइलिंग और लखनऊ के डॉ. संजीव यादव ने एएमएल में एलोजेनिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन पर व्याख्यान दिया। दिन का समापन सीएलएल पर केस बेस्ड डिस्कशन से हुआ।