जयपुर। राजस्थान में आवारा जानवरों के हमलों और सड़क हादसों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए हाईकोर्ट ने जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों को सड़कों से आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों को हटाने का सख्त आदेश दिया है। जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कार्रवाई में बाधा डालने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति धार्मिक आस्था या प्रेम के कारण जानवरों को खाना खिलाना या देखभाल करना चाहता है, तो वह यह कार्य डॉग शेल्टर और गोशालाओं में करे। अगली सुनवाई 8 सितंबर 2025 को होगी, जिसमें नगर निगमों को डॉग शेल्टर और गोशालाओं की स्थिति, रखरखाव, और उपलब्ध कर्मचारियों व डॉक्टरों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी होगी।
कोर्ट के मुख्य निर्देश: शिकायत सुविधा: नागरिकों के लिए टेलीफोन नंबर, मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी सार्वजनिक करें, जिस पर आवारा जानवरों से संबंधित शिकायत दर्ज हो सके।
सार्वजनिक स्थानों से हटाना: विशेष अभियान चलाकर शहर की सड़कों से आवारा कुत्तों और जानवरों को हटाएं, बिना अधिक शारीरिक नुकसान पहुंचाए।
बाधा डालने वालों पर कार्रवाई: कार्रवाई में रुकावट डालने वालों पर नगरपालिका कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज की जा सकेगी।
हाईवे गश्त: राजमार्गों पर नियमित गश्त कर आवारा जानवरों को हटाया जाए और यातायात सुचारू रखा जाए।
राजस्थान में 2024 में डॉग बाइट के 3 लाख से अधिक मामले सामने आए थे, जबकि 2025 में भी घटनाएं लगातार हो रही हैं। अदालत के आदेश के बाद अब नगर निगमों की जिम्मेदारी और सख्त हो गई है।