राजस्थान में तीन सत्रों से छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार और राजस्थान विश्वविद्यालय से जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस अनूप ढंढ की एकलपीठ में छात्र जय राव की याचिका पर हुई। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता श्री राजेन्द्र प्रसाद ने राज्य सरकार की ओर से कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने 10 दिन की मोहलत दी और अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता शांतनु पारीक ने दलील दी कि सरकार लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों और हाईकोर्ट की लार्जर बेंच के फैसलों की अवहेलना कर रही है। सिफारिशों के अनुसार, शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 6 से 8 सप्ताह के भीतर छात्रसंघ चुनाव होना अनिवार्य है। इसके बावजूद सरकार लगातार तीन सत्रों — 2023-24, 2024-25 और 2025-26 — में चुनाव नहीं करा रही है।
कोर्ट के समक्ष यह भी कहा गया कि छात्रसंघ चुनाव के ज़रिए छात्र प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार है, जिसकी अनदेखी की जा रही है। 2023-24 में सरकार ने चुनाव स्थगन का कारण नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में विलंब बताया था, लेकिन 2024-25 और 2025-26 सत्रों में कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया।
इस स्थिति को गंभीर मानते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार और राजस्थान विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर कारण स्पष्ट करने और स्थिति स्पष्ट करने को कहा है, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या सरकार छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।