राजस्थान भाजपा की प्रस्तावित प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर राज्य और केंद्र नेतृत्व के बीच असहमति उभरकर सामने आ रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कोशिश है कि भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में करीब एक दर्जन सांसदों और विधायकों को शामिल किया जाए इसके लिए उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ से भी सहमति लेकरसूची तैयार कर केंद्र को भिजवाई है। जबकि केंद्रीय संगठन का मत है कि संगठनात्मक कार्यों की जिम्मेदारी सक्रिय, अनुभवी और पिछले चुनावों में पराजित हुए युवा नेताओं को दी जानी चाहिए।
केंद्रीय नेतृत्व का स्पष्ट मानना है कि "एक व्यक्ति, एक पद" की नीति का पालन कड़ाई से होना चाहिए। उनका तर्क है कि सांसद और विधायक पहले से ही जनता से संवाद, योजनाओं की निगरानी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में व्यस्त होते हैं, जिससे संगठनात्मक गतिविधियों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते। ऐसे में पार्टी के जमीनी स्तर पर सक्रिय और चुनावी अनुभव रखने वाले वरिष्ठ युवा कार्यकर्ताओं को कार्यकारिणी में प्रतिनिधित्व देना संगठन की मजबूती और चुनावी रणनीति के लिए ज्यादा उपयोगी होगा।
सूत्रों के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस विषय पर भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष से दो बार चर्चा की है। हाल ही में संतोष ने राठौड़ को सलाह दी है कि प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं से नामों पर विचार-विमर्श करें और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों की राय भी शामिल की जाए। यह संकेत है कि कार्यकारिणी के नाम तय करने से पहले आंतरिक सहमति और संतुलन बनाने की कोशिशें तेज हो गई है।