सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती-2021 को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई का अहम चरण गुरुवार को पूर्ण हुआ। राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने विस्तार से बहस रखते हुए भर्ती को रद्द करने की मांग को दोहराया। उन्होंने तर्क दिया कि यह भर्ती प्रक्रिया पेपर लीक, भ्रष्टाचार और संगठित अपराध के कारण पूरी तरह निष्पक्षता की कसौटी पर असफल रही है और इसके रद्द होने के सभी मापदंड पूरे करती है।
अधिवक्ता नील ने सरकार और चयनित अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत दलीलों का खंडन करते हुए कहा कि याचिका अब भी कानूनन मेंटेनेबल है। याचिकाकर्ताओं ने भर्ती को रद्द करने की प्रार्थना कोर्ट से की थी, न कि सरकार से। उन्होंने यह भी बताया कि फरवरी 2024 में याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस पूरी हो गई थी, जिसके बाद सरकार ने स्वयं कहा था कि वह इस भर्ती पर निर्णय लेना चाहती है।
सबूत के रूप में प्रस्तुत किया गया कि गृह विभाग ने 24 मार्च 2024 को एसओजी (विशेष संचालन समूह) को पत्र लिखकर भर्ती रद्द करने की दिशा में प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। उसी आधार पर एसओजी ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। वकील ने इस तथ्य पर बल दिया कि यह इकलौती भर्ती है जिसमें पेपर लीक से जुड़े सभी अपराधी एक ही परीक्षा में शामिल पाए गए हैं। 53 ट्रेनी सब इंस्पेक्टर्स की गिरफ्तारी हो चुकी है, कई अभी भी रडार पर हैं और आरपीएससी के सदस्य और उनके परिजन भी संलिप्त पाए गए हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस भर्ती को रद्द नहीं किया गया, तो अवैध तरीके से सफल हुए सब-इंस्पेक्टर्स को कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी दी जाएगी, जिससे भविष्य में राज्य की कानून व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में भर्ती को रद्द करना ही एकमात्र न्यायोचित विकल्प है।
अब सोमवार को सरकार और चयनित अभ्यर्थियों की ओर से बहस होगी। अदालत ने संकेत दिए हैं कि मामले की अंतिम सुनवाई अगले सप्ताह तक पूरी हो सकती है।