राजस्थान की शारीरिक शिक्षा अध्यापक सीधी भर्ती परीक्षा-2022 में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की जांच में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद स्थित JS यूनिवर्सिटी की फर्जी बीपीएड डिग्री से 2,000 से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया और इनमें से 165 अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया।
एडीजी वीके सिंह ने बताया कि जांच के दौरान यूनिवर्सिटी के सर्वर डेटा से यह साफ हुआ कि डिग्रियां बैक डेट में दलालों के माध्यम से तैयार कराई गई थीं। सर्वर पर दर्ज टाइमस्टैम्प से यह भी उजागर हुआ कि डिग्रियों की प्रिंटिंग भर्ती की अधिसूचना के समय, दस्तावेज़ सत्यापन के आसपास ही की गई थी, जो पूरी तरह से अनियमित और फर्जी है।
JS यूनिवर्सिटी को 2017 से अब तक केवल 100 सीटों की मान्यता है, लेकिन 2082 अभ्यर्थियों ने बीपीएड डिग्री लेकर परीक्षा के लिए आवेदन किया, जो सीधे तौर पर सीटों से कई गुना अधिक डिग्री जारी होने का प्रमाण है। इसके अतिरिक्त, 37 अन्य अभ्यर्थियों पर पहले ही डमी कैंडिडेट व फेक डिग्री के मामलों में FIR दर्ज की जा चुकी है।
जांच में यह भी सामने आया कि कई अभ्यर्थियों ने एक यूनिवर्सिटी का नाम आवेदन पत्र में भरा लेकिन डिग्री JS यूनिवर्सिटी की प्रस्तुत की। कुछ मामलों में तो अभ्यर्थियों ने डीपीएड भरा और बीपीएड की डिग्री दी। यूनिवर्सिटी कर्मचारी मोहित गुप्ता के माध्यम से सर्वर डेटा तक पहुंच बनाकर इन फर्जी डिग्रियों को तैयार किया गया।
SOG ने अब तक JS यूनिवर्सिटी, 165 चयनित अभ्यर्थियों और एक अन्य के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच तेज कर दी है। इसके अलावा विलियम कैरी (मेघालय), कलिंगा (छत्तीसगढ़) और साबरमती यूनिवर्सिटी (गुजरात/केरल) की संदिग्ध डिग्रियों पर भी जांच जारी है।
यह फर्जीवाड़ा न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में दलालों के प्रभाव की गंभीरता को भी दर्शाता है।