संसद के मानसून सत्र के दौरान "ऑपरेशन सिंदूर" को लेकर 28 जुलाई को लोकसभा और 29 जुलाई को राज्यसभा में विस्तार से चर्चा की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों सदनों में इस मुद्दे पर बहस के लिए प्रत्येक को 16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। संसद का यह मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ था, लेकिन शुरुआत से ही विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर, बिहार वोटर वेरिफिकेशन, और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता जैसे मुद्दों को लेकर लगातार विरोध और हंगामा किया है।
तीन दिनों से जारी विरोध के चलते संसद की कार्यवाही ठीक से नहीं चल सकी। अधिकांश समय दोनों सदनों को बार-बार स्थगित करना पड़ा। बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि "सरकार ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कह रही है कि वह चालू है, जबकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इसे बंद कराने का दावा कर चुके हैं। ट्रम्प ने 25 बार कहा है कि उन्होंने सीजफायर कराया, पर प्रधानमंत्री मोदी इस पर एक शब्द नहीं बोलते – इससे संदेह पैदा होता है कि ‘दाल में कुछ काला है।’”
इससे पहले लोकसभा में बिहार वोटर वेरिफिकेशन को लेकर भी विपक्षी सांसदों ने जमकर विरोध किया। काले कपड़े लहराते हुए सांसद वेल में उतर आए और सरकार विरोधी नारेबाजी की। इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “आप सड़क का व्यवहार संसद में न करें।” हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई।
संसद में इस बहस को लेकर जनता और राजनीतिक हलकों में गहरी उत्सुकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और विपक्ष कितने ठोस तथ्यों के साथ बहस को आगे बढ़ाता है।