जयपुर मेट्रो-द्वितीय के जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीटा तेजपाल ने एक निर्णय में कहा है कि तलाक के बाद भी संतान और माता का मृतक से उत्तराधिकार का संबंध बना रहता है। यह फैसला बीएसएनएल कर्मचारी रोशनलाल सैनी की मृत्यु के बाद उत्पन्न उत्तराधिकार विवाद पर दिया गया। कोर्ट ने मृतक की पहली पत्नी से जन्मी नाबालिग बेटी (14 वर्ष) और मृतक की मां को प्रथम श्रेणी का वैध उत्तराधिकारी मानते हुए दोनों को उत्तराधिकारी प्रमाण-पत्र जारी करने का आदेश दिया है।
फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 8 के तहत बेटी और मां को प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी माना गया है। यह आदेश मृतक की पहली पत्नी द्वारा नाबालिग बेटी की ओर से दाखिल उत्तराधिकार प्रार्थना पत्र पर सुनाया गया।
प्रकरण के अनुसार, प्रार्थिया की मां की शादी 7 मई 2006 को रोशनलाल सैनी से हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी, जिससे उसकी बेटी का जन्म हुआ। 5 मार्च 2018 को दोनों के बीच तलाक हो गया, और बेटी अपनी मां के साथ रहने लगी। रोशनलाल की 29 अप्रैल 2021 को बीएसएनएल सेवा में रहते हुए मृत्यु हो गई। इसके बाद उसकी मां और कथित दूसरी पत्नी ने पेंशन, ग्रेच्युटी, इंश्योरेंस और सेवा लाभों पर दावा जताया।
मृतक की मां ने यह तर्क दिया कि तलाक के समय पहली पत्नी ने एकमुश्त भरण-पोषण राशि ले ली थी, इसलिए उसे कोई अधिकार नहीं रह गया। दूसरी ओर, एक महिला ने खुद को दूसरी पत्नी बताते हुए दावा किया कि 21 अप्रैल 2021 को शादी हुई थी, और 8 दिन बाद पति की मृत्यु हो गई, इसलिए वह एकमात्र वारिस है।
हालांकि, कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों से यह साबित हुआ कि दूसरी शादी ना तो सात फेरे हुए और ना ही कोई वैवाहिक रस्में निभाई गईं। साथ ही, दूसरी महिला की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। इसलिए कोर्ट ने उस शादी को वैध नहीं माना और दूसरी पत्नी के दावे को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में अंतिम निर्णय बीएसएनएल पर छोड़ते हुए यह साफ कर दिया कि मृतक की नाबालिग बेटी और मां ही वैध उत्तराधिकारी हैं और वही संपत्ति व सेवा लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं।