जयपुर। जयपुर ग्रेटर नगर निगम के डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावत ने मंगलवार को प्रेस वार्ता आयोजित कर अरिहंत ग्रीन योजना से जुड़े विवाद पर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) से अनुमोदित उनकी योजना "अरिहंत ग्रीन" की जमीन पर कुछ लोग "जगदीश धाम" नाम की फर्जी योजना के कथित पट्टे दिखाकर विवाद पैदा कर रहे हैं। डिप्टी मेयर कर्णावत ने स्पष्ट किया कि ये दावे पूरी तरह गलत, झूठे और मनगढ़ंत हैं।
कर्णावत ने कहा कि उनकी जमीन वर्ष 2005 में विधिवत रजिस्ट्री एवं चेक से भुगतान करके खरीदी गई है। जबकि अचरोल गृह निर्माण सहकारी समिति के नाम से प्रस्तुत कथित समझौता केवल एक प्लेन पेपर पर बना है। समिति ने स्टांप पेपर पर न तो कोई समझौता किया है और न ही चेक से एक रुपए तक का भुगतान किया है। समिति की राजकीय ऑडिट रिपोर्ट में भी यह प्रमाणित हो चुका है कि समिति ने किसी भी जमीन की खरीद के लिए कोई भुगतान नहीं किया है।
डिप्टी मेयर ने बताया कि "जगदीश धाम" योजना का जयपुर विकास प्राधिकरण में कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। वास्तव में अचरोल गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा ऐसी कोई योजना कभी बनाई ही नहीं गई। समिति सिर्फ फर्जी पट्टे जारी करने के लिए ही सक्रिय रही है। समिति ने कभी JDA के समक्ष कोई योजना स्वीकृति के लिए प्रस्तुत नहीं की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 2015 में समिति की इन धोखाधड़ी भरी गतिविधियों के चलते समिति को समाप्त कर दिया था।
पुनीत कर्णावत ने कहा कि अचरोल गृह निर्माण सहकारी समिति के सभी पूर्व पदाधिकारी, मंत्री व अध्यक्ष फरार चल रहे हैं। इनके विरुद्ध शहर के विभिन्न थानों में धोखाधड़ी के कई मुकदमे दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि उनकी निजी खातेदारी योजनाएं JDA से सभी आवश्यक जांचों के बाद स्वीकृत हुई हैं। इन योजनाओं के तहत JDA को करोड़ों रुपए जमा करवाए गए हैं, जिसका उपयोग टाउनशिप पॉलिसी के तहत विकास कार्यों में किया गया है।
डिप्टी मेयर ने आगे बताया कि इस धोखाधड़ी मामले को लेकर प्रताप नगर थाने में FIR दर्ज की जा चुकी है और समिति से जुड़े सभी आरोपी फिलहाल फरार हैं। प्रशासन से कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।