Saturday, 13 December 2025

हाईकोर्ट का अहम फैसला: मृतक बेटे की बीमा राशि में मां को भी मिलेगा एक-तिहाई हिस्सा


हाईकोर्ट का अहम फैसला: मृतक बेटे की बीमा राशि में मां को भी मिलेगा एक-तिहाई हिस्सा

जयपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में स्पष्ट किया है कि मृतक की संपत्ति और बीमा क्लेम की राशि पर न केवल पत्नी और संतान का, बल्कि मां का भी समान हक है। जस्टिस गणेशराम मीणा की एकलपीठ ने हेमलता शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने आदेश दिया कि मृतक आनंद दाधीच की 1.07 करोड़ रुपए की बीमा राशि में से एक-तिहाई (₹35,92,412) राशि उनकी मां हेमलता शर्मा को दी जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत माता-पिता को भी विधिक उत्तराधिकारी के रूप में बराबरी का अधिकार प्राप्त है।
याचिकाकर्ता के वकील संपत्ति शर्मा ने बताया कि सेशन कोर्ट ने 2021 में उनके द्वारा दायर प्रार्थना-पत्र को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए केवल "बिना नॉमिनी घोषित संपत्तियों" में मां को हिस्सा देने की अनुमति दी थी। लेकिन इस आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील की गई।
याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि नॉमिनी केवल एक ट्रस्टी की भूमिका निभाता है, न कि संपत्ति का स्वामी होता है। नॉमिनेशन का उद्देश्य केवल मृतक के नाम पर चल रही संपत्ति का अंतरिम प्रबंधन होता है।
हाईकोर्ट ने इस सिद्धांत को स्वीकार करते हुए न केवल एलआईसी बल्कि सभी निजी बीमा कंपनियों को भी आदेश दिया कि जिन पॉलिसियों का भुगतान अभी लंबित है, उनमें मां को भी एक-तिहाई हिस्सा अनिवार्य रूप से दिया जाए।
यह निर्णय उन तमाम मामलों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है, जिनमें नॉमिनेशन के आधार पर परिवार के अन्य उत्तराधिकारियों को संपत्ति से वंचित करने की कोशिश की जाती है। इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश गया है कि मां-बाप भी विधिक उत्तराधिकारी हैं और उनका हक संवैधानिक और वैधानिक रूप से बराबर है।

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