राजस्थान के अंता विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक कंवरलाल मीणा ने आखिरकार बुधवार को न्यायालय के समक्ष समर्पण कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दो सप्ताह की समयसीमा की अंतिम अवधि से पहले वे अपने अधिवक्ता के साथ कोर्ट में पेश हुए, जहां उन्होंने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई 2025 को दिए गए आदेश में कंवरलाल मीणा की विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज करते हुए उन्हें दो सप्ताह में न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। आदेश के अनुपालन में आज यह कार्रवाई की गई।
कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई गई थी। आरोप था कि उन्होंने 2005 में मतदान विवाद को लेकर SDM की कनपटी पर पिस्तौल तान दी थी, और चुनावी प्रक्रिया में बाधा डाली थी। ट्रायल कोर्ट से बरी होने के बाद एडीजे कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया, जिसे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया।
विधायक के समर्पण के बाद अब उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की प्रक्रिया भी गति पकड़ सकती है। विपक्ष लगातार विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर इस मुद्दे पर देरी और पक्षपात के आरोप लगा रहा है।
राज्यपाल द्वारा सजा माफी के संभावित विकल्पों को लेकर भी राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है। हालांकि, समर्पण के साथ कंवरलाल मीणा की स्थिति संवैधानिक और कानूनी कसौटियों पर और स्पष्ट होगी।