बागीदौरा से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक जयकृष्ण पटेल की विधानसभा सदस्यता को लेकर अब चर्चा तेज हो गई है। जयकृष्ण पटेल को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इस पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि किसी विधायक की सदस्यता पर निर्णय कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद ही लिया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना कोर्ट के दोषी ठहराए सीधे सदस्यता समाप्त करना संविधान के अनुरूप नहीं होगा।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की अदालत सबसे बड़ी होती है। हालांकि यह भी सत्य है कि कई बार आरोपी जेल में बैठकर भी चुनाव जीत जाते हैं।"
भाजपा के राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने इस मामले को विधानसभा विशेषाधिकार हनन से जोड़ते हुए कहा कि यदि किसी सदस्य द्वारा प्रश्न पूछने के बदले में धन लिया गया हो, प्रश्न पूछकर अनुपस्थित रहा हो या वापस लिया गया हो, तो यह गंभीर मामला है। ऐसी स्थिति में विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार यदि किसी सांसद या विधायक को दो वर्ष या अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त हो जाती है। साथ ही अगले छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है।
इस कानून के अंतर्गत घृणा फैलाने, भ्रष्टाचार, बलात्कार या गंभीर आर्थिक अपराधों में दोषी पाए जाने पर जनप्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने की पात्रता नहीं रहती। अब जयकृष्ण पटेल की सदस्यता पर अंतिम निर्णय कोर्ट के फैसले और विधानसभा की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा।