बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे। अधिकारियों के अनुसार, कस्तूरीरंगन ने बेंगलुरु स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। बताया गया कि वे पिछले दो वर्षों से बीमार चल रहे थे और कुछ समय पहले उन्हें दिल का दौरा भी पड़ा था।
डॉ. कस्तूरीरंगन के पार्थिव शरीर को 27 अप्रैल को अंतिम दर्शन के लिए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) में रखा जाएगा। उनके निधन से देश ने विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में एक महान योगदानकर्ता को खो दिया है।
डॉ. कस्तूरीरंगन ने 1994 से 2003 तक ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान की आधारशिला भी उनके कार्यकाल में रखी गई थी।
वे सिर्फ अंतरिक्ष विज्ञान तक सीमित नहीं रहे, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे नई शिक्षा नीति (NEP) तैयार करने वाली ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष भी रहे, जिसने देश की शिक्षा व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलावों की नींव रखी।
उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है। वैज्ञानिक समुदाय, शिक्षाविदों और देशभर के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। डॉ. कस्तूरीरंगन का जीवन प्रेरणा का स्रोत रहा और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।