जयपुर बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण में मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई, जहां राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि वह मामले को आगे बढ़ाना चाहती है और एसीबी कोर्ट के 26 नवंबर 2021 के उस आदेश का समर्थन करती है, जिसमें जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को नामंजूर किया गया था। स्पेशल पीपी अनुराग शर्मा ने कहा कि सरकार एसीबी कोर्ट के आदेश के पक्ष में है और गहलोत सरकार द्वारा दायर की गई रिवीजन याचिका को वापस लेना चाहती है। हालांकि, आरोपियों के अधिवक्ताओं ने याचिका का विरोध किया और इस पर बहस की मांग की। अब इस मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल दोपहर 12 बजे होगी।
सुनवाई के दौरान पूर्व आईएएस जीएस संधू, पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर और औंकारमल सैनी की ओर से अशोक पाठक को पक्षकार बनाए जाने का विरोध किया गया। वहीं पाठक के वकील वागीश कुमार सिंह ने कहा कि पाठक सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता रहे हैं और उन्हें सुना गया है, अतः भ्रष्टाचार के इस मामले में उन्हें पक्षकार बनाना जरूरी है। बहस अभी जारी है।
उधर, जस्टिस आरएस राठौड़ की अध्यक्षता में बनी कमेटी को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की बेंच ने इसे रूटीन बेंच में भेजने के निर्देश दिए। कमेटी की वैधता को पूर्व आईएएस जीएस संधू ने यह कहकर चुनौती दी थी कि आपराधिक मामलों में समानांतर जांच नहीं हो सकती, जबकि एसीबी जांच पहले ही हो चुकी है।
गौरतलब है कि 29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग को एकल पट्टा जारी किया था। इसको लेकर 2013 में रामशरण सिंह ने एसीबी में शिकायत की थी। इसके बाद तत्कालीन अफसरों जीएस संधू, निष्काम दिवाकर और ओंकारमल सैनी की गिरफ्तारी हुई थी। एसीबी ने चालान पेश किया और 2013 में पट्टा निरस्त कर दिया गया। लेकिन सरकार बदलने के बाद गहलोत सरकार में तीन बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई थी। जिसे एसीबी कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था।
अब भजनलाल सरकार इस मामले को फिर से कोर्ट में चलाना चाहती है, जिसके लिए रिवीजन याचिका वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है।