अलवर के राम मंदिर में गंगाजल से शुद्धीकरण कर विवादों में आए ज्ञानदेव आहूजा को भारतीय जनता पार्टी ने प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। मंगलवार सुबह भाजपा प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल ने आहूजा के खिलाफ यह बड़ी कार्रवाई करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें तीन दिन में जवाब देने को कहा गया है।
क्या है मामला?
रामनवमी के दिन अलवर की एक हाउसिंग सोसायटी के राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित हुआ था, जिसमें नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी पहुंचे थे। इसके अगले दिन पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया कि "जिन लोगों ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारा है, उनके आने से मंदिर अपवित्र हुआ है।" उन्होंने गंगाजल से शुद्धिकरण किया और पुनः पूजन किया। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
इस घटना पर राजस्थान कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे सामाजिक सौहार्द पर हमला बताया।
भाजपा द्वारा भेजे गए नोटिस में लिखा है:
"आपने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेते समय यह शपथ ली थी कि आप जाति, लिंग या मजहब के आधार पर भेद नहीं करेंगे। लेकिन आपने राम मंदिर में टीकाराम जूली के पूजा करने का विरोध कर गंगाजल छिड़क कर शुद्धिकरण किया, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हुई। यह कृत्य घोर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।"
नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास (9 नवंबर 1989) में पहली शिला एक दलित, कामकेश्वर चौपाल ने रखी थी, जिससे भाजपा की समावेशी सोच का उदाहरण मिलता है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के निर्देश पर आहूजा की प्राथमिक सदस्यता तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी गई है।
उन्हें तीन दिन में लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
समय पर जवाब नहीं देने की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।