Tuesday, 01 April 2025

खेल सामग्री में घोटाले का आरोप, टीकाराम जूली बोले – “फटा फुटबॉल और प्लास्टिक के खिलौने, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़”


खेल सामग्री में घोटाले का आरोप, टीकाराम जूली बोले – “फटा फुटबॉल और प्लास्टिक के खिलौने, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़”

जयपुर: राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राज्य सरकार पर स्कूलों में भेजी गई खेल सामग्री में बड़े घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि माफियाओं को नाश्ते में खाने की बात करने वाले मंत्री अब चुप क्यों हैं, जबकि खेलों के नाम पर घटिया सामान बच्चों को भेजा जा रहा है।

टीकाराम जूली ने इस मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि भाजपा सरकार की डबल इंजन नीति की पोल खुल चुकी है।

खेल सामग्री में घोटाले के आरोप, गुणवत्ता पर गंभीर सवाल

जूली ने कहा कि हवा भरते ही फुटबॉल फटना,लकड़ी के बैट के साथ प्लास्टिक की बॉल भेजना,₹ 50 की सीटी की कीमत ₹ 280 वसूलना,बिना ब्रांड नाम वाली घटिया सामग्री भेजना,प्लास्टिक के खिलौने किट में शामिल होना, ये सब इस बात के प्रमाण हैं कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।

 78 करोड़ की आपूर्ति, पर उपयोगी सामग्री नहीं पहुँची

राज्य में 69,190 स्कूलों में 80 लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं।78 करोड़ रुपये की लागत से खेल सामग्री आपूर्ति के आदेश दिए गए थे।सत्र समाप्ति के बाद सामग्री भेजना नीतिगत विफलता है क्योंकि वह अगले सत्र में ही उपयोग में आएगी।

डूंगरपुर के उदाहरण से खोला भ्रष्टाचार का मामला

डूंगरपुर की 2,737 स्कूलों में ₹2.34 करोड़ की सामग्री भेजी गई।सामग्री की मूल्य दर बताई गई ₹24,947 जबकि वास्तविक कीमत ₹8,000 बताई गई।अनुपयोगी सामग्री और बिना ब्रांड का माल भेजना, बच्चों के साथ धोखा है।

पहले मिलती थी स्पोर्ट्स ग्रांट, अब भेजा जा रहा पैकेज्ड सामान

जूली ने बताया कि पहले स्कूलों को प्राथमिक स्तर पर ₹5,000, उच्च प्राथमिक पर ₹10,000, सीनियर सेकेंडरी पर ₹25,000 की स्पोर्ट्स ग्रांट मिलती थी। शिक्षक छात्र की रुचि और स्कूल की जरूरत के अनुसार सामग्री खरीदते थे। अब सीधे जयपुर से पैकेज्ड सामग्री भेजकर व्यवस्था में पारदर्शिता की बजाय घोटाले को बढ़ावा दिया जा रहा है।”

 केंद्र सरकार की किट में भी अनुपयोगी सामान

केंद्र सरकार की योजना में ₹22.29 करोड़ की लागत से 20,120 स्पोर्ट्स किट भेजी गईं,जिनमें शामिल हैं – हवा भरने का पंप, वजन तौलने की मशीन, इंच टेप जैसी सामग्री, जो अधिकांश स्कूलों में उपयोगी नहीं है।कई स्कूलों में खेल मैदान या कक्ष तक नहीं, फिर सामग्री भेजना व्यवहारिक विफलता है।

बच्चों और शिक्षकों में आक्रोश

टीकाराम जूली ने बताया कि सरकार की इस नीति से:छात्रों में हताशा,शारीरिक शिक्षकों के संगठनों में असंतोष,और जनता में आक्रोश है। उन्होंने दो टूक कहा किअब सरकार को इस घोटाले पर चुप्पी नहीं साधनी चाहिए, मुख्यमंत्री को जवाब देना ही होगा।”

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