Monday, 31 March 2025

रेवंतराम डांगा का वायरल पत्र बना भाजपा में अंदरूनी हलचल की वजह, ज्योति मिर्धा ने बताया- पार्टी के ही सदस्य ने किया लीक


रेवंतराम डांगा का वायरल पत्र बना भाजपा में अंदरूनी हलचल की वजह, ज्योति मिर्धा ने बताया- पार्टी के ही सदस्य ने किया लीक

नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा द्वारा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लिखे गए एक पत्र ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिससे सत्तारूढ़ भाजपा में अंदरूनी मतभेद उजागर होते नजर आ रहे हैं।

इस पूरे प्रकरण के बीच भाजपा नेता और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि यह पत्र पार्टी के ही किसी सदस्य द्वारा लीक किया गया है। उन्होंने दावा किया कि पत्र को वायरल करने वाले व्यक्ति की पहचान हो गई है और जल्द ही पार्टी स्तर पर जांच के बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ज्योति मिर्धा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे स्पष्ट रूप से कहती नजर आ रही हैं कि "विधायक का मुख्यमंत्री को बंद लिफाफे में पत्र लिखना उसका संवैधानिक अधिकार है। लेकिन इस पत्र को लीक करना गंभीर अनुशासनहीनता है। कुछ लोगों ने पहले ही दावा कर दिया था कि उनके पास यह पत्र है और वे सही समय आने पर इसे सार्वजनिक करेंगे।"

उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि पत्र लीक करने का सोर्स भाजपा के ही भीतर से निकला है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग नहीं चाहते कि विधायक रेवंतराम डांगा खींवसर क्षेत्र में मजबूत स्थिति हासिल करें, इसलिए उनके खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। इस घटनाक्रम से राजस्थान भाजपा में अंदरूनी गुटबाजी की अटकलें तेज हो गई हैं।

इस बीच ज्योति मिर्धा ने नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल और उनके भाई नारायण बेनीवाल पर भी निशाना साधा। बिजली बिलों के मुद्दे पर बोलते हुए मिर्धा ने कहा कि "किसानों के कनेक्शन काटने की बजाय उन घरों के कनेक्शन काटे जाने चाहिए जहां लंबे समय से बिजली बिल बकाया हैं।"

गौरतलब है कि विधायक डांगा ने 30 जनवरी को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने नागौर जिले की राजनीति में हनुमान बेनीवाल की कथित "दोहरी भूमिका" पर चिंता जताई थी। पत्र में आरोप लगाया गया था कि बेनीवाल दोनों दलों के साथ मिलकर जिले की राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं। डांगा ने यह भी चेताया था कि यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो आगामी पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

पत्र में विकास कार्यों में बाधाएं, प्रशासनिक तबादलों में अनदेखी और संगठनात्मक स्तर पर कुछ लोगों द्वारा दमनात्मक नीति अपनाने की भी शिकायतें शामिल थीं।

अब सवाल यह है कि क्या भाजपा इस पत्र लीक कांड को लेकर सख्त अनुशासनात्मक कदम उठाएगी या यह मामला यूं ही राजनीतिक बयानबाजी में उलझ कर रह जाएगा?

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