पहले 12 फरवरी को जारी आदेश के तहत यह समय सीमा 18 फरवरी से बढ़ाकर 25 मार्च की गई थी, लेकिन अब इसे 30 मार्च तक विस्तारित किया गया है।
30 मार्च: प्रस्ताव तैयार कर प्रकाशित किए जाएंगे।
31 मार्च से 30 अप्रैल: आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे।
1 मई से 10 मई: प्राप्त आपत्तियों के निपटारे की समय सीमा।
11 मई से 20 मई: राज्य सरकार को फाइनल प्रस्ताव भेजने की समय सीमा।
21 मई से 4 जून: सरकार स्तर पर अंतिम प्रस्तावों को मंजूरी देने की समय-सीमा।
ग्रामीण विकास विभाग ने स्पष्ट किया है कि नए प्रस्तावों में जनप्रतिनिधियों और आम जनता की राय को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके तहत पंचायतों और पंचायत समितियों की सीमाएं तय करने से पहले स्थानीय स्तर पर खुली बैठकों का आयोजन किया जाएगा ताकि ग्रामीणों की राय को शामिल किया जा सके।
नई पंचायतों के गठन से प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी।ग्राम विकास योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा।राज्य सरकार की योजनाएं गांवों तक सुचारू रूप से पहुंच सकेंगी।जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को बेहतर तरीके से संचालित करने में मदद मिलेगी।
राज्य सरकार का दावा है कि पंचायतों के पुनर्गठन का उद्देश्य प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करना और ग्रामीण विकास को गति देना है। हालाँकि जनप्रतिनिधियों की नाराजगी और बार-बार समय सीमा बढ़ाने के कारण इस प्रक्रिया को लेकर विवाद भी बना हुआ है।