Friday, 21 March 2025

राजस्थान में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की समय सीमा फिर बढ़ी, अब 30 मार्च तक प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश


राजस्थान में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की समय सीमा फिर बढ़ी, अब 30 मार्च तक प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश

जयपुर राजस्थान सरकार ने ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की समय सीमा में एक बार फिर बदलाव किया है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने सभी जिला कलेक्टर्स को प्रस्ताव तैयार करने की अंतिम तिथि 25 मार्च से बढ़ाकर 30 मार्च करने के निर्देश दिए हैं। यह दूसरी बार है जब सरकार ने पुनर्गठन प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाई है।

पहले 12 फरवरी को जारी आदेश के तहत यह समय सीमा 18 फरवरी से बढ़ाकर 25 मार्च की गई थी, लेकिन अब इसे 30 मार्च तक विस्तारित किया गया है।

जनप्रतिनिधियों की नाराजगी बनी देरी का कारण:ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन को लेकर जनप्रतिनिधियों में नाराजगी है। उनका आरोप है कि अधिकारी अपनी मनमर्जी से पंचायतों की सीमाएं तय कर रहे हैं और स्थानीय लोगों की राय नहीं ली जा रही। इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब यह स्पष्ट किया है कि प्रस्तावों को तैयार करने से पहले आमजन और जनप्रतिनिधियों से सुझाव लिए जाएंगे।

पंचायतों के पुनर्गठन का काम अब जून तक होगा पूरा: नए आदेश के अनुसार, अब पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया अप्रैल के बजाय जून तक पूरी होगी। पुनर्गठन की विस्तारित समय-सीमा इस प्रकार है: 

30 मार्च: प्रस्ताव तैयार कर प्रकाशित किए जाएंगे।

31 मार्च से 30 अप्रैल: आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे।

1 मई से 10 मई: प्राप्त आपत्तियों के निपटारे की समय सीमा।

11 मई से 20 मई: राज्य सरकार को फाइनल प्रस्ताव भेजने की समय सीमा।

21 मई से 4 जून: सरकार स्तर पर अंतिम प्रस्तावों को मंजूरी देने की समय-सीमा।

जनप्रतिनिधियों की राय होगी अहम

ग्रामीण विकास विभाग ने स्पष्ट किया है कि नए प्रस्तावों में जनप्रतिनिधियों और आम जनता की राय को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके तहत पंचायतों और पंचायत समितियों की सीमाएं तय करने से पहले स्थानीय स्तर पर खुली बैठकों का आयोजन किया जाएगा ताकि ग्रामीणों की राय को शामिल किया जा सके।

पुनर्गठन से क्या होगा फायदा?

नई पंचायतों के गठन से प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी।ग्राम विकास योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा।राज्य सरकार की योजनाएं गांवों तक सुचारू रूप से पहुंच सकेंगी।जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को बेहतर तरीके से संचालित करने में मदद मिलेगी।

राज्य सरकार का दावा है कि पंचायतों के पुनर्गठन का उद्देश्य प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करना और ग्रामीण विकास को गति देना है। हालाँकि जनप्रतिनिधियों की नाराजगी और बार-बार समय सीमा बढ़ाने के कारण इस प्रक्रिया को लेकर विवाद भी बना हुआ है।

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