जयपुर ग्रामीण जिले की ग्राम पंचायत जोरपुरा के सोलंकियों की ढाणी से ऊंटों की तस्करी का एक क्रूर मामला सामने आया है।शुक्रवार देर रात ग्रामीणों की सजगता से सात ऊंटों को ट्रक में ठूंसा जा रहा था, जिन्हें क्रेन की सहायता से लादा जा रहा था, लेकिन ग्रामीणों की सूझबूझ से समय रहते इन निर्दोष पशुओं की जान बचा ली गई।
तस्करों ने ऊंटों की पहचान छिपाने के लिए उनकी आंखें फोड़ दी थीं और कानों से सरकारी टैग हटा दिए थे, जिससे उनकी पहचान न की जा सके। घटना की सूचना मिलते ही फुलेरा थाना पुलिस और मुंडवाड़ा चौकी पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तस्कर अंधेरे का लाभ उठाकर फरार हो गए।
पुलिस ने ट्रक और क्रेन को जब्त कर लिया है और राजस्थान ऊंट वध प्रतिषेध एवं अस्थायी प्रवजन या निर्यात विनियमन अधिनियम, 2015 की धारा 5, 6 और 8 के तहत अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी है।
फुलेरा थाना एसएचओ श्रवण कुमार ने बताया कि इन ऊंटों को गांव के पास एक सुरक्षित खेत में रखा गया है और पुलिस निगरानी में उनकी देखभाल की जा रही है।
मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने आशंका जताई कि तस्करों का इरादा इन ऊंटों को वध कर मीट व्यापार में इस्तेमाल करने का था। ऊंटों के पैरों और मुंह को बांधकर निर्दयता से ट्रक में भरने की तैयारी की गई थी, जो पशु क्रूरता की चरम सीमा है।
स्थानीय लोगों ने इस घटना के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है और राज्य सरकार से ऊंटों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है।
यह घटना राजस्थान में पशु तस्करी पर सवाल खड़े करती है, खासतौर पर तब जब राज्य में ऊंट को राज्य पशु घोषित किया गया है और इसके वध या अवैध प्रवजन पर कानूनन रोक है।