जयपुर। राजस्थान में सीवरेज चेंबर की सफाई के दौरान सफाईकर्मियों की हो रही मौतों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य सरकार और राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति इंद्रजीत सिंह और न्यायमूर्ति आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश स्नेहांश फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुनील नाथ ने तर्क रखा कि राजस्थान के कई जिलों में आज भी सफाईकर्मियों को बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवरेज लाइन में उतारा जा रहा है, जो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। याचिका में बताया गया कि फतेहपुर और पाली समेत कई स्थानों पर जहरीली गैस के चलते सफाईकर्मियों की मौतें हुई हैं।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, 31 जुलाई 2024 तक देशभर में 377 सफाईकर्मियों की मौतें सीवरेज सफाई के दौरान हो चुकी हैं। राजस्थान में 2014 से 2019 के बीच 33 मौतें दर्ज की गई हैं, लेकिन उसके बावजूद अब तक व्यवस्थित सुरक्षा व्यवस्था लागू नहीं की गई है।
याचिका में यह भी बताया गया कि वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने सफाई उपकरण खरीदने के लिए 176 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे, लेकिन दौसा, भरतपुर और सीकर जैसे जिलों को इसमें शामिल नहीं किया गया, जो भेदभावपूर्ण नीति को दर्शाता है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की कि प्रदेश में सीवरेज सफाई कार्य केवल ऑटोमैटिक मशीनों से ही कराए जाएं, और यदि किसी कारणवश सफाईकर्मी को चेंबर में उतरना आवश्यक हो, तो उसे उचित सुरक्षा उपकरण, मास्क, ऑक्सीजन सपोर्ट व हेलमेट प्रदान किए जाएं।
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से पूछा है कि किन नियमों के तहत अभी तक मैन्युअल सफाई कराई जा रही है और इस संबंध में क्या कोई उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है या नहीं। अगली सुनवाई की तिथि पर कोर्ट ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।