राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जूली ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की है कि भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा, जिन्हें हाल ही में एक आपराधिक मामले में 3 साल की सजा हुई है और जिन्होंने स्वयं न्यायालय में सरेंडर कर दिया है, उनकी विधानसभा सदस्यता अब तक रद्द क्यों नहीं की गई।
प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के लिली थॉमस बनाम भारत सरकार मामले में स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी सांसद या विधायक को 2 वर्ष या अधिक की सजा होने पर सजा के दिन से ही उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाएगी। इसके बावजूद विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कोई कार्रवाई न किया जाना न्याय और लोकतंत्र की मूल भावना के विपरीत है।
प्रतिपक्ष के नेता जूली ने याचिका में यह भी उल्लेख किया है कि जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी की सदस्यता पर तुरंत निर्णय लेकर निष्कासन की कार्यवाही की, तो फिर राजस्थान विधानसभा में समान नियम का पालन क्यों नहीं हो रहा।
उन्होंने कहा कि यह मामला न केवल विधानसभा की निष्पक्षता से जुड़ा है, बल्कि सत्तारूढ़ दल की राजनीतिक सुविधा के अनुसार नियमों की व्याख्या करने की प्रवृत्ति को भी उजागर करता है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पर संविधान की भावना की अनदेखी और दलीय पक्षपात का आरोप लगाया है।