Wednesday, 12 March 2025

होलिका दहन 2025: 13 मार्च को होगा होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त और खास आयोजन


होलिका दहन 2025: 13 मार्च को होगा होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त और खास आयोजन

होलिका दहन का पर्व 13 मार्च, फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:30 बजे से 12:36 बजे तक रहेगा, क्योंकि इससे पहले भद्रा काल रहेगा, जिसमें होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता। भद्रा का प्रभाव रात 11:29 बजे तक रहेगा, इसलिए दहन का सही समय 11:30 बजे के बाद होगा।

होलिका दहन: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक

होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सुख-समृद्धि आती है। श्रद्धालु इस दिन परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं।

जयपुर में विशेष आयोजन

राजधानी जयपुर में सिटी पैलेस और गोविंददेवजी मंदिर में रात 11:31 बजे होलिका दहन का मुख्य आयोजन होगा। इस दौरान महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में संत-महंतों की मौजूदगी में वैदिक रीति से गणपति अर्चन कर गोकाष्ठ से होलिका दहन किया जाएगा। इस मौके पर संत-महंतों का सम्मान भी किया जाएगा।

धुलंडी का पर्व 14 मार्च को

14 मार्च, शुक्रवार को धुलंडी मनाई जाएगी, जिसमें रंग-गुलाल से होली खेली जाएगी। इस बार होली का यह दो दिवसीय पर्व 13 मार्च की रात से 14 मार्च तक चलेगा।

पूर्णिमा तिथि और भद्रा का प्रभाव

  • पूर्णिमा तिथि: गुरुवार सुबह 10:35 बजे से शुक्रवार दोपहर 12:24 बजे तक रहेगी।
  • भद्रा काल: गुरुवार सुबह 10:36 बजे से रात 11:29 बजे तक रहेगा, इसलिए होलिका दहन भद्रा समाप्त होने के बाद ही किया जाएगा।

श्रद्धालुओं के लिए सुझाव

  • होलिका दहन शुभ मुहूर्त में ही करें।
  • परिवार और समाज की सुख-समृद्धि के लिए दहन स्थल पर पूजा-अर्चना करें।
  • भद्रा काल में दहन न करें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।

होलिका दहन: एक पौराणिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई थी। यह त्योहार बुराई के अंत और सत्कर्मों की विजय का प्रतीक है।

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