होलिका दहन का पर्व 13 मार्च, फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:30 बजे से 12:36 बजे तक रहेगा, क्योंकि इससे पहले भद्रा काल रहेगा, जिसमें होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता। भद्रा का प्रभाव रात 11:29 बजे तक रहेगा, इसलिए दहन का सही समय 11:30 बजे के बाद होगा।
होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सुख-समृद्धि आती है। श्रद्धालु इस दिन परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं।
राजधानी जयपुर में सिटी पैलेस और गोविंददेवजी मंदिर में रात 11:31 बजे होलिका दहन का मुख्य आयोजन होगा। इस दौरान महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में संत-महंतों की मौजूदगी में वैदिक रीति से गणपति अर्चन कर गोकाष्ठ से होलिका दहन किया जाएगा। इस मौके पर संत-महंतों का सम्मान भी किया जाएगा।
14 मार्च, शुक्रवार को धुलंडी मनाई जाएगी, जिसमें रंग-गुलाल से होली खेली जाएगी। इस बार होली का यह दो दिवसीय पर्व 13 मार्च की रात से 14 मार्च तक चलेगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई थी। यह त्योहार बुराई के अंत और सत्कर्मों की विजय का प्रतीक है।