Monday, 31 March 2025

लीलावती अस्पताल ने कोक्लियर इम्प्लांट्स के साथ श्रवण देखभाल में लाई क्रांति


लीलावती अस्पताल ने कोक्लियर इम्प्लांट्स के साथ श्रवण देखभाल में लाई क्रांति

विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर लीलावती अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र ने एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें आयरलैंड के महावाणिज्य दूतावास की मुख्य अतिथि सुश्री अनीता केली, कई देशों के राजनयिक, व्यापार प्रतिनिधि, बॉलीवुड अभिनेता शरमन जोशी, चिकित्सा विशेषज्ञ और अन्य सम्मानित अतिथि शामिल हुए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य श्रवण समस्याओं और उनके प्रभावी समाधानों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।

कोक्लियर इम्प्लांट्स: सुनने की क्षमता बहाल करने में अहम तकनीक

कार्यक्रम में विश्व प्रसिद्ध ईएनटी सर्जन और कोक्लियर इम्प्लांट्स पर पुस्तकों के लेखक, डॉ. क्रिस्टोफर डी सूजा ने अपने 27 वर्षों के चिकित्सा अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि कोक्लियर इम्प्लांट्स ने जन्मजात बहरेपन से पीड़ित और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों से संबंधित 500 से अधिक भारतीय बच्चों के जीवन को बदला है।

लीलावती अस्पताल का अत्याधुनिक सर्जिकल इम्प्लांटेबल हियरिंग डिवाइस प्रोग्राम

लीलावती अस्पताल में संचालित सर्जिकली इम्प्लांटेबल हियरिंग डिवाइस प्रोग्राम का नेतृत्व डॉ. क्रिस्टोफर डी सूजा और अनुभवी ईएनटी सर्जनों डॉ. कमल पारसराम, डॉ. प्रीति ढींगरा और डॉ. अदीप शेट्टी कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में ऑडियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक विशेषज्ञ टीम शामिल है, जो पूर्ण मूल्यांकन और देखभाल प्रदान करती है।

लीलावती अस्पताल में नवजात शिशुओं की श्रवण क्षमता बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक ऑपरेटिंग रूम उपकरण, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

दो साल की उम्र से पहले कोक्लियर इम्प्लांट्स का महत्व

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कोक्लियर इम्प्लांट्स दो वर्ष की आयु से पहले लगाए जाएं, तो यह बच्चों की सुनने की क्षमता को पूरी तरह बहाल कर सकता है। ये इम्प्लांट दोनों कानों में एक साथ लगाए जाते हैं और मरीज के पूरे जीवनभर काम करते हैं। लीलावती अस्पताल द्वारा कोक्लियर इम्प्लांट करवाने वाले बच्चे सामान्य बच्चों की तरह स्कूल जाने और सामान्य जीवन जीने में सक्षम होते हैं।

हर साल 1 लाख बच्चे बहरे पैदा होते हैं

भारत में हर साल 1,00,000 बच्चे बहरे पैदा होते हैं, जो स्वास्थ्य प्रणाली और समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। कोक्लियर इम्प्लांट्स इन बच्चों के जीवन को सामान्य बनाने में क्रांतिकारी समाधान प्रदान कर सकते हैं।

लीलावती अस्पताल का मिशन: जागरूकता और इलाज

लीलावती अस्पताल के स्थायी ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने कहा,
"हम हमेशा चिकित्सा प्रगति और समुदाय-संचालित पहलों में अग्रणी रहे हैं। हमारा उद्देश्य चिकित्सा समाधान और उनसे लाभान्वित होने वाले लोगों के बीच की दूरी को खत्म करना है। यह पहल बच्चों को सुनने की चुनौतियों से उबरने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद करेगी।"

उन्होंने आगे कहा कि,
"लीलावती अस्पताल का मिशन नवजात बच्चों में बहरेपन की जल्द पहचान करना, उनका पेशेवर तरीके से इलाज और दीर्घकालिक पुनर्वास सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही, हम अगली पीढ़ी के ईएनटी विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने और शिक्षित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।"

कोक्लियर इम्प्लांट्स: श्रवण देखभाल में एक नई क्रांति

लीलावती अस्पताल द्वारा उठाए गए इस कदम से श्रवण समस्याओं से पीड़ित बच्चों को जीवन में नई रोशनी मिलेगी। यह पहल भारत में श्रवण देखभाल के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हो सकती है और लाखों बच्चों को सामान्य जीवन जीने का अवसर दे सकती है।

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