राजस्थान सरकार द्वारा जारी 'खमराज कमेटी' आदेशों के विरोध में राज्य के सरकारी कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है। राज्य कर्मचारी संगठनों ने इस आदेश को जनविरोधी बताते हुए व्यापक प्रदर्शन किया। इसी के तहत, अजमेर में सरकारी कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए 'खमराज कमेटी' के आदेशों की प्रतियां जलाईं और राज्य सरकार से इन्हें तत्काल वापस लेने की मांग की।
राजस्थान कर्मचारी संघ (एकीकृत) के पदाधिकारियों ने सरकार के इस निर्णय को जनविरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 7 लाख से अधिक कर्मचारियों को बिना उचित संवाद के वेतन पुनरीक्षण और अन्य भत्तों में कटौती के फैसले थोप दिए हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार ने बिना किसी सार्वजनिक रिपोर्ट या अध्ययन के यह निर्णय लिया है, जिससे लाखों कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान होगा।
कर्मचारियों ने इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की और कहा कि यदि सरकार ने इस पर पुनर्विचार नहीं किया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
कर्मचारियों ने सरकार द्वारा मंत्रियों, विधायकों और अन्य अधिकारियों की सरकारी यात्रा और अन्य खर्चों पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर रही है, लेकिन दूसरी ओर मंत्रियों और विधायकों के लिए सरकारी धन का उपयोग अनावश्यक यात्राओं पर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार आम जनता के टैक्स के पैसों को गैर-जरूरी चीजों पर खर्च कर रही है, जबकि कर्मचारियों के वेतन और सुविधाओं को कम किया जा रहा है। यह अन्याय है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
अजमेर में राजस्थान कर्मचारी महासंघ (एकीकृत) के सैकड़ों कर्मचारियों ने जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने 6 फरवरी को प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांग की कि 'खमराज कमेटी' की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से लिया जाए।
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से कांति कुमार शर्मा, कैलाशचंद , गिरीराज प्रसाद, महेंद्र यादव, हेमराज चौधरी, अजय गुर्जर, मुकेश शर्मा, विनोद सिंह, जयराम यादव, अरविंद कुमार शर्मा, लखन सिंह, मोहनलाल शर्मा, राजेंद्र चौधरी, सुरेश मीणा, गजेंद्र सिंह सहित कई कर्मचारी नेता मौजूद रहे।
राजस्थान सरकार ने 'खमराज कमेटी' के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में कटौती से जुड़े आदेश जारी किए हैं। इस आदेश के अनुसार,
वेतन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को तीन वर्षों तक रोक दिया गया है।
डीए (महंगाई भत्ता) में कटौती कर दी गई है।
कर्मचारियों की पदोन्नति और वेतन वृद्धि की प्रक्रिया को धीमा किया जा रहा है।
कर्मचारी संगठन इसे असंगत और अन्यायपूर्ण बताते हुए इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
राज्य कर्मचारी संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे। इसके तहत, 8 फरवरी को सभी जिलों में प्रदर्शन किया जाएगा।सरकार से वार्ता की मांग की जाएगी।अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो विधानसभा के सामने बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।