राजस्थान के खींवसर विधानसभा उपचुनाव का परिणाम आने वाला है, और यह चुनाव न केवल क्षेत्रीय बल्कि राज्य की राजनीति के लिए भी बेहद अहम है। खींवसर, जो नागौर जिले में स्थित है, जाट बहुल क्षेत्र होने के कारण लंबे समय से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) का गढ़ माना जाता रहा है। 2018 में इस सीट से हनुमान बेनीवाल ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। अब, हनुमान बेनीवाल की पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है।
इस बार उपचुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से रेवंत राम, कांग्रेस से डॉक्टर रतन चौधरी, और आरएलपी से संगीता बेनीवाल चुनावी मैदान में हैं। संगीता बेनीवाल हनुमान बेनीवाल की पत्नी हैं, और उनकी उम्मीदवारी पार्टी के भविष्य को लेकर एक बड़ा संदेश देती है।
खींवसर का जातीय समीकरण चुनाव परिणाम में निर्णायक भूमिका निभाएगा। जाट मतदाता क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं और परंपरागत रूप से आरएलपी का समर्थन करते रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने गुर्जर, राजपूत, और अन्य समुदायों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी के जरिए किसान, सिंचाई, और बुनियादी ढांचे के मुद्दों को भुनाने का प्रयास किया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में आरएलपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन इस उपचुनाव में कांग्रेस ने अलग राह अपनाई है। इससे चुनाव और रोचक हो गया है, क्योंकि आरएलपी और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है।
यह उपचुनाव आरएलपी के लिए 'अग्निपरीक्षा' है। पार्टी के लिए यह केवल एक सीट नहीं है, बल्कि विधानसभा में अपनी मौजूदगी बनाए रखने की लड़ाई है। वहीं, भाजपा इस सीट को जीतकर नागौर क्षेत्र में अपनी पैठ और मजबूत करना चाहती है। कांग्रेस भी यहां से अपना दबदबा दिखाने की कोशिश में है।
खींवसर विधानसभा उपचुनाव के नतीजे जैसे-जैसे सामने आएंगे, यह स्पष्ट होगा कि जाट मतदाताओं का झुकाव किस ओर रहा और अन्य समुदायों ने क्या रुख अपनाया। राजस्थान का पंछी पर बने रहें, जहां आपको मिलेगी सबसे सटीक और तेज़ जानकारी।