राजस्थान में मानसून के चलते कई जिलों में भारी बारिश हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप मौसम विभाग ने 5 जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट और 21 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। इस बारिश से राज्य के प्रमुख बांधों में पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। बांसवाड़ा का सुरवानिया और कोटा का आलनिया बांध सोमवार को पूरी तरह से भर गए, जिससे वे छलकने लगे हैं।
तेज बारिश के साथ ही राज्य में कई जगहों पर अव्यवस्था की स्थिति भी पैदा हो रही है। अजमेर में खराब मौसम और प्रशासनिक ढांचों की बदहाली के कारण एक रिटायर्ड फौजी की मौत हो गई है, जो एक दुखद घटना है। इसी बीच, बांसवाड़ा जिले में भारी बारिश की संभावना के मद्देनजर आज स्कूलों की छुट्टी घोषित कर दी गई है।
मौसम विज्ञान केंद्र, जयपुर के अनुसार, 29 और 30 अगस्त को भारी बारिश में कमी आने की संभावना है। हालांकि, राज्य में हल्की बारिश या बूंदाबांदी का सिलसिला जारी रहेगा, जिससे अभी भी लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
बांसवाड़ा जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण नदी-झरनों में उफान देखा जा रहा है। बागीदौरा उपखंड के सोगपुरा गांव में स्थित झोल्लाफाल झरने में मंगलवार सुबह से ही पानी का बहाव तेज हो गया है। पिछले दो दिनों की भारी बारिश के चलते झरना अपनी पूरी रफ्तार से बह रहा है, जिससे इसका दृश्य और भी आकर्षक हो गया है।
भारी बारिश के कारण बांसवाड़ा जिले में माही नदी का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे माही बजाज सागर बांध का गेज 24 घंटे के भीतर 275.05 आरएल मीटर से बढ़कर 276.40 आरएल मीटर पर पहुंच गया है। इसके अलावा, प्रतापगढ़ जिले में भी रविवार और सोमवार को 8 से 10 इंच तक बारिश हुई, जिससे वहां के जाखम बांध का जलस्तर 19.70 आरएल मीटर से बढ़कर 22.35 आरएल मीटर पर आ गया है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के दक्षिणी हिस्सों में लगातार हो रही बारिश के कारण चंबल, पार्वती, और कालीसिंध नदियों का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। इस वजह से कई बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है। झालावाड़ में कालीसिंध बांध के 5 गेट खोल दिए गए हैं, जिससे 55 हजार क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जा रहा है। इसी तरह, कोटा बैराज के दो गेट से 12,318 क्यूसेक पानी, धौलपुर में पार्वती बांध के 2 गेट से 1,169 क्यूसेक, और करौली के पांचना बांध के 2 गेट से 3,061 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है।
इस स्थिति के कारण नदियों के आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए स्थानीय निवासियों और प्रशासन को सतर्क रहने की आवश्यकता है।