



अरावली पर्वतमाला को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर रूप ले लिया है। जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली मानने की नई परिभाषा को लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई का फैसला किया है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी। इस पीठ में जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह भी शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन कोर्ट की सूची में यह मामला पांचवें नंबर पर दर्ज है।
इस सुनवाई को बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि नई परिभाषा से अरावली क्षेत्र की हजारों छोटी पहाड़ियों के संरक्षण पर सवाल खड़े हो गए हैं। पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि 100 मीटर की सीमा तय होने से अरावली का बड़ा हिस्सा संरक्षण से बाहर हो सकता है, जिससे अवैध खनन और निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं, जहां केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा जा सकता है और अरावली संरक्षण को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी होने की संभावना है।