



जयपुर। जयपुर में गुरुवार को उस समय हंगामा मच गया, जब पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा सिंधी कैंप स्थित राजपूत सभा भवन पहुंचे और राजपूत हॉस्टल के संचालन को लेकर कड़ा विरोध जताया। हंगामे की स्थिति बनते देख राजपूत सभा के अध्यक्ष राम सिंह चंदलाई मौके से चले गए। इससे पहले बुधवार को भी राजेंद्र गुढ़ा राजपूत हॉस्टल की दीवार कूदकर अंदर घुस गए थे, जहां उन्होंने हॉस्टल के चारों ओर लगाए गए कंटीले तारों को लेकर नाराजगी जताई थी और इसे “तिहाड़ जेल जैसा” बताया था। इस घटनाक्रम का वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया था।
पूर्व मंत्री गुढ़ा ने आरोप लगाया कि जिस राजपूत हॉस्टल में उन्होंने स्वयं शिक्षा प्राप्त की थी, वहां पिछले 50 वर्षों में कोई बुनियादी सुधार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों से 50-50 हजार रुपये तक की वसूली की जा रही है और अलग-अलग मदों में अतिरिक्त पैसे भी लिए जा रहे हैं। गुढ़ा का आरोप है कि हॉस्टल परिसर में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं और हॉस्टल के आसपास बसें खड़ी रहने से छात्रों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
राजेंद्र गुढ़ा ने यह भी कहा कि राजपूत हॉस्टल मूल रूप से कमरावाटी और भोमियां संघ ट्रस्ट का था, जिसका संचालन करीब 25 वर्ष पहले राजपूत सभा ने अपने हाथ में लिया। समाज को उम्मीद थी कि सभा हॉस्टल का बेहतर संचालन करेगी, लेकिन वर्तमान स्थिति इसके उलट है और हॉस्टल की हालत सुधरने के बजाय और बिगड़ती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि छात्रों के हितों की अनदेखी की जा रही है और पारदर्शिता का अभाव है।
गुढ़ा के अनुसार, जब बातचीत के लिए राजपूत सभा के अध्यक्ष ने उन्हें बुलाया, तब भी उनके समर्थकों और सभा पदाधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक और हंगामा हुआ। गुढ़ा ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष बातचीत बीच में छोड़कर चले गए। उन्होंने कहा कि यह विवाद नया नहीं है और पहले भी समाज के कुछ वर्गों के साथ भेदभाव किया जाता रहा है। उन्होंने पुराने आरोप दोहराते हुए कहा कि पहले शेखावत समाज के लोगों को चारदीवारी के भीतर प्रवेश तक नहीं दिया जाता था और शाम 7 बजे बाहर कर दिया जाता था।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद राजपूत सभा भवन और राजपूत हॉस्टल का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है और समाज के भीतर हॉस्टल संचालन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।