



जयपुर। पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकायों के आगामी चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए उम्मीदवारों की चुनावी खर्च सीमा को दोगुना तक बढ़ा दिया है। आयोग ने इसके लिए अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की हैं। हालांकि खर्च सीमा बढ़ाने के साथ-साथ चुनाव प्रचार को लेकर कई सख्त पाबंदियां भी लगाई गई हैं, ताकि प्रचार प्रक्रिया को नियंत्रित और पारदर्शी बनाया जा सके।
राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रचार में बड़े वाहनों और पशुओं से चलने वाली गाड़ियों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। उम्मीदवार अब बस, ट्रक, मिनी बस, मेटाडोर और पशुओं से चलने वाली गाड़ियां जैसे तांगा, ऊंटगाड़ी या बैलगाड़ी का उपयोग प्रचार में नहीं कर सकेंगे। इन नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित प्रत्याशी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि उम्मीदवार तय सीमा से अधिक खर्च नहीं कर सकेंगे और चुनाव खर्च का पूरा विवरण 15 दिन के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी को देना अनिवार्य होगा।
आयोग ने चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों की संख्या भी स्पष्ट रूप से निर्धारित कर दी है। जिला परिषद सदस्य के चुनाव में प्रत्याशी अधिकतम तीन वाहन, पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में दो वाहन और सरपंच के चुनाव में केवल एक वाहन का ही उपयोग कर सकेगा। इसी तरह नगर निगम पार्षद चुनाव में अधिकतम तीन, नगर परिषद पार्षद के लिए दो और नगर पालिका पार्षद उम्मीदवार के लिए केवल एक वाहन की अनुमति दी गई है। प्रचार में उपयोग होने वाले सभी वाहनों की जानकारी पहले से रिटर्निंग ऑफिसर को देनी होगी। तय सीमा से अधिक वाहन पाए जाने पर कार्रवाई होगी।
पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनावों में उम्मीदवार अपने चुनाव कार्यालय पर लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा अस्पताल, स्कूल और धार्मिक स्थलों से 100 मीटर की परिधि में लाउडस्पीकर से चुनाव प्रचार पर पूरी तरह रोक रहेगी। सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक लाउडस्पीकर का उपयोग केवल मजिस्ट्रेट की अनुमति से ही किया जा सकेगा। किसी भी प्रकार की रैली या जुलूस निकालने से पहले भी प्रशासनिक अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा वर्ष 2025 के लिए निर्धारित नई खर्च सीमा के अनुसार नगर निगम चुनाव में उम्मीदवार अब अधिकतम 3.50 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे, जबकि 2019 में यह सीमा 2.50 लाख रुपये थी। नगर परिषद में खर्च सीमा 2 लाख, नगरपालिका में 1.50 लाख, जिला परिषद में 3 लाख, पंचायत समिति में 1.50 लाख और सरपंच पद के लिए 1 लाख रुपये तय की गई है। वर्ष 2014 और 2019 की तुलना में यह बढ़ोतरी लगभग दोगुनी मानी जा रही है।
आयोग का कहना है कि इन नियमों का उद्देश्य चुनावी खर्च में पारदर्शिता लाना, अनावश्यक दिखावे और शोर-शराबे पर रोक लगाना तथा सभी प्रत्याशियों को समान अवसर प्रदान करना है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।